90A राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 क्या है ?

राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956  क्या है ? 

विषयसूची
  1. 90B तथा 90 A क्या है ?
  2.  90B सम्पति क्या होती है ? What is 90B property?
  3. राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 90 A क्या है ?
  4. भू-राजस्व से सम्बंधित महत्वपूर्ण नियम तथा अधिनियम पीडीऍफ़ डाउनलोड
    राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956

90B तथा 90 A क्या है ?

What is 90A and 90B in Rajasthan?

90B तथा 90 A राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 (Rajasthan Land Revenue Act,1956)  की धाराएं (Sections) है, जो भू परिवर्तन से जुडी हुई है या थी। सन 2012 में 90 B को निरस्त कर संशोधित धरा 90 A को लागु किया गया । पूर्व में धारा  90 A केवल ग्रामीण क्षेत्रों में भू रूपांतरण ( LAND  CONVERSION) हेतु प्रयुक्त की जाती थी किन्तु वर्तमान धारा 90 A ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों दोनों पर लागु होती है। 

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सन 1999 में राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम,1956 में अवैध भूमि रूपांतरण को वैध बनाने हेतु किया गया था किन्तु इसका बहुत ज्यादा दुरूपयोग हुआ। जिसके उपरांत उच्च न्यायालय ने जागो जनता सोसाइटी की जनहित याचिका  (PIL) पर 2011  में उक्त धारा को अवैध करार देते हुए इसको निरस्त कर दिया था। तत्कालीन राजस्थान सरकार ने कृषि भूमि का आवासीय, वाणिज्यिक तथा अन्य भू उपयोग परिवर्तन (LAND  USE CONVERSION ) हेतु निरस्त धारा 90 B के स्थान पर एक नयी धारा 90A को 2012 में जोड़ा,  जो भू रूपांतरण को पारदर्शी तथा सरल बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा थी ।

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90B सम्पति क्या होती है ? What is 90B property?

पूर्व में जब धारा 90B में रूपांतरण हेतु समर्पित कृषि भूमि को नगरीय निकाय द्वारा भू रूपांतरण की अनुमति नहीं दी जाती तो वह भूमि नगरीय निकाय में निहित हो जाती थी, उक्त भूमि को ही 90B सम्पति माना जाता था । यह कृषक को पुनः प्राप्त नहीं होती थी। किन्तु 90A के अंतर्गत भूमि रूपांतरण हेतु समर्पित भूमि को कृषक को अनुमति प्राप्त नही होने पर भूमि की  पुनः प्राप्ति  का प्रावधान किया गया है ।

राजस्थान आवास और शहरी विकाश विभाग ने उक्त धाराओं के अनुसार नगरीय निकायों हेतु अपने अधिनियमों में संशोधन किया गया है

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राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 90 A क्या है ?

राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 90 में कृषि भूमि के उपयोग के सम्बन्ध में निम्न प्रकार से प्रावधान किये है :-

"90-ए.- गैर-कृषि प्रयोजन के लिए कृषि भूमि का उपयोग

(1) कोई भी व्यक्ति जो कृषि प्रयोजनों हेतु भूमिधारी है अथवा उक्त भूमि या उसके किसी भाग का अंतरिती है उक्त भूमि या उसके किसी भाग का उपयोग भवन निर्माण या उसके किसी भाग के भवन निर्माण हेतु उपयोग नहीं करेगा

किन्तु कोई भी व्यक्ति जो कृषि उद्देश्यों हेतु भूमिधारी है , भवन निर्माण या इसी प्रकार के अन्य उद्देश्यों  में उन शर्तों एवं नियमो के अधीन रहते हुए बिना राज्य सरकार की लिखित अनुमति के एवं निर्धारित तरीके से अन्यथा नहीं करेगा

(2)-कोई भी व्यक्ति जो ऐसी भूमि या उसके किसी भाग को कृषि के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग करना चाहता है, निर्धारित तरीके से और निर्धारित अधिकारी या प्राधिकरण को अपेक्षित अनुमति के लिए आवेदन करेगा और ऐसे प्रत्येक आवेदन में निर्धारित विवरण होगा।

(3)-राज्य सरकार, निर्धारित तरीके से उचित जांच करने या करवाने के बाद, या तो आवेदन की अनुमति को अस्वीकार कर देगी या निर्धारित नियमों और शर्तों के अधीन उसे प्रदान करेगी।

(4)-जब ऐसी किसी भूमि या उसके हिस्से को कृषि के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग करने की अनुमति दी जाती है, तो वह व्यक्ति जिसे ऐसी अनुमति दी जाती है, उसके संबंध में राज्य सरकार को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा -

(a). राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में बनाए जाने वाले नियमों में ऐसी दर पर और इस तरह के अनुसार लगाया जाने वाला शहरी मूल्यांकन निर्धारित किया जा सकता है, या

(b).प्रीमियम के रूप में ऐसी राशि जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जा सकती है,या

(c). दोनों।

(5) यदि ऐसी किसी भूमि का इस प्रकार उपयोग किया जाता है -

 (a)- राज्य सरकार की पहले लिखित अनुमति पहले  प्राप्त किये बिना, या

 (b)- अन्यथा ऐसी अनुमति के नियमों और शर्तों के से अन्यथा,या

 (c)- उप-धारा (3) के तहत ऐसी अनुमति से इनकार करने के बाद,या

 (d)- उप-धारा (4) में निर्दिष्ट कोई भी भुगतान किए बिना, मूल रूप से कृषि के उद्देश्य के लिए भूमि को धारण करने वाले व्यक्ति के साथ-साथ सभी बाद के हस्तांतरणियों, यदि कोई हो, को अतिचारी या अतिचारी माना जाएगा, जैसा कि मामला हो सकता है, और धारा 91 के अनुसार ऐसी भूमि से बेदखल करने के लिए उत्तरदायी होगा जैसे कि उसने या उन्होंने ऐसी भूमि पर बिना वैध अधिकार के कब्जा कर लिया था या कब्जा करना जारी रखा था और ऐसी प्रत्येक कार्यवाही के लिए राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 212 के प्रावधान, 1955 (1955 का राजस्थान अधिनियम 3) लागू होगा जैसे कि ऐसी भूमि खतरे में थी या बर्बाद हो रही थी, क्षतिग्रस्त या अलग हो गई थी:

    किन्तु, राज्य सरकार, ऐसे व्यक्ति और बाद के हस्तांतरणियों को विवादित भूमि से इस प्रकार बेदखल करने के बदले, उसे या उन्हें, जैसा भी मामला हो, ऐसी भूमि को अपने पास रखने की अनुमति दे सकती है, उसका उपयोग उसके अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए कर सकती है। राज्य सरकार को भुगतान पर कृषि का, शहरी मूल्यांकन के अलावा और उप-धारा (4) के तहत देय प्रीमियम जुर्माना के रूप में निर्धारित किया जा सकता है।"

भू-राजस्व से सम्बंधित महत्वपूर्ण नियम तथा अधिनियम पीडीऍफ़ डाउनलोड

राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम,1956 पीडीऍफ़ डाउनलोड rajasthan land revenue act 1956 hindi pdf 

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राजस्थान भूप्रबंध विभाग के नियम डाउनलोड 

राजस्थान भूप्रबंध नियमावली पीडीऍफ़ डाउनलोड 

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राजस्थान भू-राजस्व (सर्वे, अभिलेख तथा बंदोबस्त)(सरकारी) नियम, 1957 पीडीऍफ़ डाउनलोड 

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नगरीय विकाश आवासन तथा स्वायत शाशन विभाग की भूपरिवर्तन (LAND CONVERSION)हेतु संशोधित नियम तथा भूरूपान्तरण शुल्क (LAND CONVERSION FEES) तथा प्रक्रिया पीडीऍफ़ यहाँ से डाउनलोड करें

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 दोस्तों, भूरूपान्तरण अतिविस्तृत विषय है, फिर भी हमने उक्त के सम्बन्ध में संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास किया है इसी प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करने के लिए ब्लॉग https://factspp.blogspot.com से जुड़े रहिये





2 टिप्‍पणियां:

  1. Sc की भूमि का संपरिवर्तन होने कितने समय बाद सामान्य जाती को बेचान कर सकता है किस नियम के तहत

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  2. Yadi kisi bhoomi pr court case h to bhi bhoomi 90A ho sakti h

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