एससी एसटी एक्ट 1989 संशोधित प्रावधान, दंड तथा मोनेटरी ग्रांट

एससी एसटी एक्ट 1989 संशोधित प्रावधान, दंड तथा मोनेटरी ग्रांट

SC ST ACT 1989 संशोधित प्रावधान, दंड तथा प्रतिकर  

दोस्तों, आपने  एससी एसटी एक्ट के बारे में प्रायः सुना होगा ?  साथ ही जिज्ञाषा होती है कि अधिनियम के प्रावधान क्या है और इसके संदर्भ में के निर्णय तथा संसद में पारित संशोधन अधिनियम क्या है और यह अधिनियम अनुसूचित जाति' तथा अनुसूचित जनजाति के अधिकारों की रक्षा करने में कैसे महत्वपूर्ण है तथा इसका कई बार दुरूपयोग होने पर हमारे पास क्या रेमेडीज उपलब्ध है। इसी संदर्भ में लेख प्रस्तुत है। 

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विषयसामग्री 

  1. SC ST ACT क्या है ?
  2. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989  पीडीऍफ़ डाउनलोड 
  3. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति संशोधन अधिनियम, 2018  
  4. SC ST ACT के मुख्य प्रावधान 
  5. SC ST ACT के अंतगर्त दंड के प्रावधान  
  6. एक्ट में पीड़ित व्यक्ति को सहायता के प्रावधान / प्रतिकर 
  7. अभियुक्त को उपलब्ध रेमेडीज मुख्य उपचार 
  8. संक्षेप 

SC ST ACT क्या है ? 

भारत में सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों (अनुसूचित जाति तथा जनजाति) के हितों की रक्षा हेतु भारत की संसद ने 1989 में अनुसूचित जाति तथा जनजाति(अत्याचार उन्मूलन) अधिनियम, 1989 पारित किया है जिसे sc st act या POA  एक्ट  या अत्याचार उन्मूलन अधिनियम के नाम से प्रायः जाना जाता है। sc st act full form in hindi अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 जिसे इंग्लिश में the Scheduled Caste & Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989 के नाम से जाना जाता है।   इस अधिनियम में समय समय पर संशोधन हुए है जिनमे सन 2015 (sc st act amendment 2015)  में उक्त अधिनियम की पिछड़े वर्गों की सुरक्षा करने में विफल मानते हुए विस्तृत संशोधन किये तथा अत्याचार को भी स्पष्ट  रूप से परिभाषित किया गया।  

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एससी एसटी एक्ट डाउनलोड  

अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार उन्मूलन ) अधिनियम, 1989  के प्रावधान निम्नानुसार है :-

 

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EPF ACT रजिस्ट्रेशन, रिफंड तथा नियम

 अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार उन्मूलन ) संशोधन अधिनियम, 2018 अधिनियम पीडीऍफ़ डाउनलोड  

सन 2018 में मार्च में माननीय उच्चतम न्यायालय में सुभाष काशीनाथ महाजन बनाम महाराष्ट्र सरकार के वाद में उक्त अधिनियम के दुरूपयोग को देखते हुए कुछ लिमिटेशन उक्त अधिनियम पर लगाई। जिनमे उक्त अधिनियम को अग्रिम जमानत का प्रावधान प्रदान किया। साथ ही बिना जाँच गिरफ्तारी रोकने का महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किया।  चूँकि उच्चतम न्यायालय के निर्णय सम्पूर्ण भारतवर्ष में अधीनस्थ न्यायालयों पर प्रभावी होने के कारण उक्त उच्चतम न्यायालय के निर्णय का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था। 

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अगस्त 2018 में सम्पूर्ण भारतवर्ष में उक्त निर्णय का विरोध होने के कारण केंद्र सरकार को उक्त निर्णय को निष्प्रभावी करने हेतु संसद में संशोधन अधिनियम  (sc st act amendment 2018) पारित कर धारा 18 A(i )a  तथा धारा 18 A(i )b को जोड़ा गया।  जिसमे प्रावधान थे कि  sc st एक्ट में प्राथमिकी दर्ज करने हेतु पूर्व जाँच अनिवार्य नहीं होगी।  साथ ही  जांचकर्ता अधिकारी को पूर्व अनुमोदन या अनुमति  के बिना ही अभियुक्त को गिरफ्दार करने का प्रावधान किया तथा उक्त अधिनियम के अंतरगर्त मामले अग्रिम जमानत ( सेक्शन 438 Cr. P.C.) के अंतगर्त  कवर नहीं होने का प्रावधान किया गया अर्थात उक्त धारा  के तहत अभियुक्त को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं मिलने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है। 

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अनुसूचित जाति  तथा अनुसूचित जनजाति (संशोधन अधिनियम), 2018 

sc st act amendment 2018 download


वर्तमान में sc st act उच्चतम न्यायालय के निर्णय 

सन  2018 में  उक्त संशोधन अधिनियम को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी जिसमे उक्त अधिनियम के प्रावधानों को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 , 21 तथा 19 के खिलाफ बताया गया तथा गिरफ्दारी में सहिंता के प्रावधानों के अनुसार प्रक्रिया का पालन करने हेतु याचिका दायर की।  किन्तु फ़रवरी 2020 में आये निर्णय ने उक्त अधिनियम के प्रावधानों  को जारी रखा है। किन्तु साथ ही कहा कि न्यायालय उक्त FIR को रद्द करने का आदेश प्रदान कर सकता है। 

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अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार उन्मूलन ) संशोधन अधिनियम, 1989 के महत्वपूर्ण प्रावधान  

अनुसूचित तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम, 1989 ( THE SCHEDULED CAST AND SCHEDULED TRIBE (PREVENTION OF ATROCITIES) ACT, 1989 के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान निम्नानुसार है :

  • FIR हेतु प्रारम्भिक जाँच करना आवश्यक नहीं होगा धारा 18 SC ST ACT :-

इस धारा के प्रावधान के अनुसार उक्त अधिनियम में प्रथिमिकी (FIR ) दर्ज करने हेतु प्रारंभिक जाँच आवश्यक नहीं है। 

  • अभियुक्त की गिरफ्दारी हेतु पूर्व अनुमति की आवस्यकता नहीं 

अनुसन्धान अधिकारी को उक्त अधिनियम में किसी अन्य की पूर्व अनुमति की अभियुक्त की गिरफ्दारी हेतु आवश्यकता  नहीं होगी। 

  • अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं 

यह धारा अभियुक्त को अग्रिम जमानत (sc st act anticipatory bail) ( सेक्शन 438 आपराधिक प्रक्रिया संहिता,1860 )  की कोई बात उक्त के सम्बन्ध में किसी आदेश, निर्णय या न्यायालय के निर्देश पर लागु नहीं होगी।

  • अधिनियम पर की धारा 360 तथा परिवीक्षा अधिनियम, 1958 के प्रावधान लागु न होना 

इस अधिनियम पर 18 वर्ष की उम्र से अधिक के अभियुक्त पर परिवीक्षा अधिनियम के प्रावधान भी लागु नहीं होते है। 

  • विशेष न्यायालयों तथा विशेष लोक अभियोजक की व्यवस्था का प्रावधान 

इस अधिनियम के अंतगर्त धारा 14 ने विशेष न्यायलयों की व्यवस्था तथा धारा 15 में विशेष लोक अभियोजक की व्यवस्था करने का प्रावधान किया गया है।   

  • अपराध गैर जमानती तथा असंज्ञेय  होना 

आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1860 की अंतगर्त उक्त अपराध गैर जमानती तथा असंज्ञेय घोषित किया गया है।

अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार उन्मूलन ) संशोधन अधिनियम, 1989  में दंड के प्रावधान  

sc st act 1989 के अंतगर्त धारा 3 (2 )/(sc st act 3(2)) में सजा के प्रावधान किये गए है जो विभिन्न अपराधों के अनुसार भिन्न -भिन्न हो सकते है सामान्यत 3 वर्ष से 7 वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है विस्तृत विवरण ऊपर दिए गए अधिनियम में दिया गया है।  

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SC ST  ACT COMPENSATION 

c st act compensation

केंद्र सरकार ने सभी उक्त अधिनियम में पीड़ितों को प्रतीकात्मक अनुदान  (MONETARY GRANT)  का प्रावधान उक्त अधिनियम में किया है जिस हेतु  अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम रूल, 1995 में उक्त अधिनियम के पीड़ित को प्रतिकर देने का प्रावधान किया है। उसके अनुसार विभिन्न राज्य सरकारों ने उक्त अधिनियम में पीड़ित व्यक्तियों को प्रतिकर देने के नियम बनाये है जो विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न है सामान्यतः यह समाज कल्याण विभाग के द्वारा प्रदान की जाती है  अपराध की प्रकृति के आधार पर उक्त प्रतिकर प्रदान किया जाता है तथा उक्त प्रतिकर FIR दर्ज होने पर एवं उक्त अधिनियम में चालान पेश होने पर तथा दोष सीधी होने पर आंशिक रूप से प्रदान किया जाता है उक्त के सम्बन्ध में जिला मजिस्ट्रेट उक्त कार्य को सम्पादित करता है। 
अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम रूल, 1995 संशोधन 2016 में मुआवजे की राशि में बढ़ोतरी की गई थी। वर्तमान में विभिन्न अपराधों में उक्त अधिनियम के अंतर्ग्रत  कवर होने वाले मामलों में मामले के अनुसार राशि लाखों तक हो सकती है। 

अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम रूल, 1995 पीडीऍफ़ डाउनलोड 

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अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम रूल, 1995 संशोधन 2016  प्रतिकर  नॉर्म्स पीडीऍफ़ डाउनलोड 

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राजस्थान में उक्त अधिनियम पीड़ितों हेतु मोनेटरी ग्रांट आधिकारिक लिंक 

https://sje.rajasthan.gov.in/default.aspx?pageid=75

हरियाणा में SC ST अधिनियम प्रतिकर लिंक 

http://haryanascbc.gov.in/monetary-relief-to-the-victim-of-atrocities-5050

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अधिनियम में बचाव के सामान्य उपचार  

ह अधिनियम अग्रिम जमानत हेतु कवर नहीं होता है। अतः इसमें अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होने की कारण  गिरफ्दारी अनिवार्य है किन्तु उक्त FIR को निरस्त करने हेतु याचिका दायर की जा सकती है। साथ ही दुर्लभतम मामलों में न्यायालय अभियुक्त को जमानत प्रदान कर सकता है। उक्त अधिनियम में प्राथमिकी झूटी पाई जाती है तो शिकायतकर्ता पर कार्यवाही करने का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त सम्पूर्ण न्यायिक प्रक्रिया का  पालन करते हुए अभियुक्त सबूतों के अभाव में बरी किया जा सकता है। 

कच्ची बस्ती पट्टा  आवेदन कैसे करें ?

संक्षेप 

SC  ST  ACT , 1989  या पीओए  अधिनियम में अत्यंत ही कठिन प्रावधान किये गए है। जैसे कि अग्रिम जमानत का प्रावधान न होना, अनुसन्धान अधिकारी द्वारा बिना अनुमति गिरफ्दारी करना आदि,  जिन्हे बार बार विभिन्न मामलों में इसके दुरूपयोग के कारण  उच्चतम न्यायालय में भी चुनौती दी गई है  किन्तु किसी हद तक यह अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति की उत्पीड़न के प्रति ढाल भी सिद्ध  हुआ है।  साथ ही इसमें प्रतीकात्मक अनुदान की व्यवस्था होने से यह न्याय प्राप्ति का सहज रास्ता बना है। 



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