हमारे सामाजिक परिवेश में कई बार हम अपनी अचल संपत्ति का पूर्ण उपभोग या आनंद तभी प्राप्त कर पाते हैं, जब किसी अन्य व्यक्ति के स्वामित्व में निहित अचल संपत्ति में या पर स्थित किसी सुविधा का प्रयोग करते हैं। जैसे कि उसकी संपत्ति में होकर जाने वाले रास्ते का उपयोग, पानी का निकास हवा या रोशनी का उपयोग आदि।इस प्रकार के अन्य व्यक्ति की संपत्ति में प्राप्त अधिकार सुखाधिकार(Easement Right) कहे जाते हैं, जिन्हें कानूनी संरक्षण प्राप्त है। उक्त अधिकार निजी अथवा व्यक्तिगत अधिकार ना होकर अचल संपत्ति से संबंधित अधिकार होते हैं।
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सुखाधिकार क्या होता है ? What is the easement ?
सुखाधिकार का अर्थ किसी अचल संपत्ति के पूर्ण आनंद या पूर्ण उपभोग लेने के उस अधिकार को कहते हैं, जो किसी अन्य की संपत्ति में निहित होता है। इस प्रकार का अधिकार प्राप्त करना हमारे स्वामित्व में ना होते हुए भी कानूनी रूप से हमारा अधिकार माना गया है। इसे सुखाचार या सुखभोग के नाम से भी जाना जाता है। सुखाधिकार ट्रांसलेशन इन इंग्लिश Easement Right होती है । इसे हवा पानी के अधिकार के नाम से भी जाना जाता है।
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भारतीय सुखाधिकार अधिनियम की धारा 4 के अनुसार सुखाधिकार की परिभाषा
" सुखाधिकार वह अधिकार होता है, जो भूमि के स्वामी को अथवा कब्जाधारी को प्राप्त होता है, जिसे उस भूमि के हितप्रद, आनंद पूर्ण उपयोग हेतु, कुछ करने और करते रहने हेतु या रोकने हेतु और जो करने से रोकने हेतु उस भूमि में या पर या किसी अन्य भूमि के बारे में प्राप्त हो, जो उसकी स्वयं की ना हो। "
भारतीय सुखाधिकार अधिनियम, 1882
इस प्रकार के सुखाधिकार कानून ( Easement Right) को भारतीय सुखाधिकार अधिनियम, 1882 द्वारा अधिनियमित किया गया है। अधिनियम में पट्टे धारी एवं सहस्वामी को भी सुखाधिकार प्राप्त करने हेतु मानय माना गया है।
सुखाधिकार अधिनियम पीडीऍफ़ डाउनलोड
सुखाधिकार के प्रकार
उपयोग करने वाले व्यक्तियों के आधार पर
- सार्वजनिक सुखाधिकार - जो सुखाधिकार सार्वजनिक रूप व्यक्तियों को प्राप्त होता है।
- निजी सुखाधिकार -जो सुखाधिकार व्यक्तिगत रूप से प्राप्त होता है।
मानवीय कार्यों के आधारों पर के प्रकार
- अविछिन्न सुखाधिकार -जो बिना मानवीय हस्तक्षेप के भी उपभोग जारी है या किया जा सकता है जैसे कि हवा, पानी, पानी निकास अर्थात नाली
- विछिन्न सुखाधिकार - जिन अधिकारों के उपयोग हेतु मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता की आवश्यकता होती है जैसे की रास्ते का अधिकार
दर्शयता के आधार पर
- प्रत्यक्ष सुखाधिकार - ये सुखाधिकार प्रत्यक्ष चिन्हो के द्वारा दिखाई देते है। जैसे कि रोशनदान, खिड़कियां आदि।
- अप्रत्यक्ष सुखाधिकार - ये सुखाधिकार दिखाई नहीं देते है , किन्तु फिर भी इनका अधिकार होता है।
रास्ते का सुखाधिकार
प्रत्येक व्यक्ति को अपने आवास, कृषि भूमि या कार्यस्थल पर से आने-जाने का पूर्ण अधिकार होता है। इस अधिकार को रोका नहीं जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का रास्ता रोकता है तो इसके खिलाफ निषेधाज्ञा ली जा सकती है।
सुखाधिकार के परिप्रेक्ष्य में ही विभिन्न राज्यों के काश्तकारी अधिनियम में कृषि भूमि में रास्ता दिए जाने के विभिन्न प्रावधान किए गए हैं। राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 की धारा 251 कृषि भूमि में रास्ता आदि प्रदान किए जाने के प्रावधान किए गए हैं।
राजस्थान में कृषी भूमि में रास्ते का अधिकार/ जमीन का रास्ता खुलवाने की कानूनी धारा राजस्थान
राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 में राजस्व भूमि काश्तकारी भूमि के सम्बन्ध में रास्ते के सुखाधिकार में खेत का रास्ता प्राप्ति हेतु जो सुखाधिकार प्राप्त है, निम्न प्रकार से प्रावधान किये गए है :-
राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 धारा 251 क्या है ?
धारा 251 (1) - के अनुसार जब कोई भूमिधारी या भू स्वामी किसी रास्ते के अधिकार, सुखाधिकार या अन्य अधिकार का हितप्रद उपभोग करता है तो अपने ऐसे उपयोग में बिना उसके सहमति के विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा किसी अन्य तरीके से उसे रोका जाता है तो तहसीलदार उक्त रोके गए भूमि स्वामी के प्रार्थना पत्र पर तथा उक्त इस प्रकार के उपभोग एवं रोक के विषय में जांच करने के पश्चात इस प्रकार की बाधा को हटाने अथवा बंद किए जाने की तथा प्रार्थी भूस्वामी को दोबारा उक्त प्रकार का उपभोग करने देने की आदेश प्रदान कर सकेगा, चाहे इस प्रकार के उपभोग किए जाने के विरुद्ध तहसीलदार के समक्ष अन्य कोई हक प्रकट किया जाए ।
धारा 251 (2) -के अनुसार धारा 251 (1) के अधीन पारित किसी भी प्रकार के आदेश के द्वारा किसी व्यक्ति को ऐसे अधिकार या सुखाधिकार के संबंध में सक्षम दीवानी न्यायालय में विधिनुसार दीवानी वाद प्रस्तुत करने से विवर्जित नही किया जाता है। रसूल करने से विवादित नहीं करते हैं।
राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 धारा 251 A क्या है ?
18जनवरी 2012 को राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 में संशोधन कर नवीन धारा 251 ए जोड़ी गई है। जो निम्न प्रकार से प्रावधान करती हैं :-
251 A- भूमिगत पाइप लाइन बिछाना या दूसरे खातेदार की जोत से नया रास्ता खोलना या मौजूदा रास्ते का विस्तार करना
धारा 251 A के अनुसार-
(1). जहाँ,
- (क). एक काश्तकार अपने जोत की सिंचाई के उद्देश्य से दूसरे खातेदार की जोत के माध्यम से एक भूमिगत पाइप लाइन बिछाने का आशय रखता है; या
- (ख). एक काश्तकार या काश्तकारों के समूह का आशय, अपने खेत या खेतों तक पहुचने हेतु, अन्य खातेदार की जोत में से एक नया रास्ता या वर्तमान रास्ते का विस्तार या चौड़ा करना हो, जैसा भी हो, और मामला आपसी समझौते से नहीं हल हुआ है, काश्तकार या काश्तकारों, यथास्थिति इस प्रकार की सुविधा के लिए संबंधित उपखंड अधिकारी को आवेदन कर सकता है, यदि वह संक्षिप्त पूछताछ के पश्चात संतुष्ट हो जाता है तो, वह
- मामले की आवश्यकता आत्यंतिक आवश्यकता है और यह केवल सुविधाजनक उपभोग के लिए नहीं है ; तथा
- अन्य खातेदार के खेत मे से, विशेषत नवीन रास्ते के मामले में, अन्य वैकल्पिक रास्ते की अनुपस्थित सिद्ध हो जाती है तो आदेश दे सकता है कि आवेदक को जमीन की सतह से कम से कम 3 फीट नीचे पाइप लाइन गाड़ने की अनुमति दी जावे। उस भूमि को रखने वाले काश्तकार द्वारा इंगित की गई रेखा या एक नया रास्ता 30 फीट से अधिक नहीं , ऐसे भूमि के माध्यम से जो उस भूमि पर रखने वाले के काश्तकार द्वारा रेखांकित किया गया हो। यदि ऐसा ट्रैक नहीं बताया गया है तो सबसे छोटे या समीपस्थ मार्ग के माध्यम से या वर्तमान रास्ते का विस्तार या चौड़ा करने के लिए, जो 30 फ़ीट से अधिक ना हो, उपखण्ड अधिकारी द्वारा निर्धारित तरीके से निर्धारित मुवावजा भुगतान पर, किया जा सकता है।
2. जहां ऊपर दिए गए आधार पर एक नवीन रास्ता बनाने है या वर्तमान रास्ते को बड़ा करने या चौड़ा करने की अनुमति दी गई है, उक्त में शामिल भूमि के संबंध में काश्तकारी अधिकार समाप्त कर दिया गया माना जाएगा और भूमि राजस्व रिकॉर्ड में 'रास्ता' रूप में दर्ज की जावेगी।
3. धारा 1 में दी गई सुविधा के अतिरिक्त अन्य अधिकार इस प्रकार की सुविधा से सर्जित नही होंगे।
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दोस्तों, सुखाधिकार में रास्ते का अधिकार अत्यंत ही महत्वपूर्ण है जिसे प्राप्त करना हमारा कानूनी अधिकार है। देखा जाए तो सुखाधिकार क्षेत्र अत्यंत ही विशाल है जो जीवन की अति आवश्यक अचल संपत्ति के उपयोग को पूर्णता प्रदान करता है।
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