किरायानामा तथा लीज डीड स्वयं कैसे करे? किरायानामा पीडीएफ तथा लीज डीड पीडीएफ, सामान्य नियम, शर्ते
विषयसूची/ List of Content
- किरायानामा । किराया इकरारनामा/ अनुबंध (RENT AGREEMENT)क्या होता है?
- किराएनामे की आवश्यकता
- आवश्यक दस्तावेज
- किरायानामा लिखने का सही तरीका
- किरायानामा 11 महीने का करने का कारण
- रजिस्टर्ड किरायानामा क्या होता है ?
- किरायानामा अधिनियम 2021
- किन सम्पतियों पर किराया अधिनियम लागू नही है ?
- लीज डीड तथा रेंट डीड में मुख्य अंतर
- किराएदार के मकान खाली नहीं करने पर क्या करें तथा किराया अदा नही करता है तो क्या करें?
- लीज क्या होती है?
भारत में अस्थाई तौर पर किसी संपत्ति अथवा वस्तु को उपयोग में लेने हेतु अस्थाई तौर पर प्रतिफल के बदले में कब्जे में लेकर उपयोग लेने के दो तरीके हैं :-
- किरायानामा
- लीज डीड
कानूनी दृष्टि से किरायानामा तथा लीज दोनों अलग-अलग हैं तथा अलग-अलग अधिनियम द्वारा द्वारा प्रशासित होते हैं। किरायानामा राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम (Rajasthan Rent Control Act,2003) के अंतर्गत आता है। जबकि पट्टा अनुबंध अधिनियम (The Indian Contract Act, 1882) के अंतर्गत आता है।
किरायानामा । इकरारनामा/ अनुबंध (RENT AGREEMENT) क्या होता है?
वह करार या अनुबंध, जिसमें एक पक्ष (मकान मालिक) दूसरे पक्ष (किराएदार) को अपना परिसर (दुकान/ मकान)किराए पर देने हेतु निश्चित समय के लिए अनुबंध करता है, किरायानामा अनुबंध कहलाता है। इसमें 2 पक्ष होते हैं प्रथम पक्ष मकान मालिक(Land Lord) और द्वितीय पक्ष किराएदार (Tenant) के नाम से जाना जाता है। इन दोनों पक्षों के मध्य किरायेदारी अनुबंध हेतु लिखित विलेख को किरायानामा या किराया अनुबंध (Rent Agreement) या किराया विलेख के नाम से जाना जाता है।
किरायेनामे की आवश्यकता
- विभिन्न प्रकार रेजिस्ट्रेशन्स जैसे GST, पासपोर्ट, शॉप लाइसेंस आदि के लिए किरायानामा एड्रेस प्रूफ के तौर पर प्रयोग किया जाता है।
- किरायानामा में शर्ते वर्णित होती है, जिनका उल्लघंन नही किया जा सकता है।
- किरायानामा की शर्तों का उल्लंघन होने पर न्यायालय से अनुतोष प्राप्त किया जा सकता है।
- इनकम टैक्स में छूट प्राप्त करने हेतु किरायानामा प्रस्तुत करना आवश्यक है।
किरायानामा बनाने हेतु आवश्यक दस्तावेज
एक किरानानामा बनाने हेतु निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है :-- किराए पर दिए गए परिसर दस्तावेज
- मकान मालिक का विवरण तथा आई डी(आधार कार्ड)
- किराएदार का विवरण तथा आई डी(आधार कार्ड)
- राज्य में निश्चित किए गए स्टांप ड्यूटी का स्टांप पेपर(राजस्थान में 500 रुपये)
- नोटरी पब्लिक या रजिस्ट्रार
- किराया एवं सिक्योरिटी डिपाजिट
किरायानामा लिखने का सही तरीका
एक किरायानामा लिखने में राजस्थान में ₹500 के स्टांप पेपर की आवश्यकता होती है। इस पर प्रथम पक्ष एवं द्वितीय पक्ष अर्थात मकान मालिक एवं किराएदार का स्पष्ट रूप से विवरण अंकित होना आवश्यक है। प्रतिफल अर्थात तय किए गए मासिक किराया दर का स्पष्ट विवरण, किराए की अदायगी का समय, किराया अदायगी का तरीका, किराए में सालाना वृद्धि का विवरण, किराए में दिए गए परिसर का पूर्ण विवरण, किराए में यदि फर्नीचर इत्यादि शामिल है तो उसका विवरण, राज्य सरकार के टैक्स की अदायगी की शर्तों का स्पष्टतः उल्लेख तथा अन्य आवश्यक शर्तों का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना अति आवश्यक है। इसके पश्चात यदि किरायानामा 11 महीने का है तो नोटरी पब्लिक से नॉटराइज होना आवश्यक है। यदि किरायानामा 11 महीने से अधिक की अवधि का है तो उक्त किरायानामे को संबंधित पंजीयक विभाग से रजिस्टर्ड करवाना आवश्यक होता है। इसके साथ ही मकान मालिक और किराएदार के हस्ताक्षर एवं दो गवाहों के हस्ताक्षर आवश्यक होने आवश्यक है।
रेंट एग्रीमेंट फॉरमैट इन हिंदी/किरायानामा फॉर्म पीडीएफ / किरायानामा format pdf डाउनलोड करें :-
दुकान का किरायानामा मकान और दुकान का किरायानामा हिंदी वर्ड फाइल डाउनलोड करें :-
किरायानामा 11 महीने का करने का कारण
मकान और दुकान का किरायानामा प्रायः 11 महीने का ही तैयार करवाया जाता है। 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट स्टांप पेपर वैल्यू 500 रुपये तय की गई है। इस कारण है कि यह मुद्रांक एवं पंजीयन विभाग द्वारा निर्धारित स्टाम्प ड्यूटी के रूप में टैक्स की बचत के लिए किया जाता है क्योंकि 11 महीने से अधिक की अवधि का किरायानामा तब ही वैध माना जाएगा जब वह मुद्रांक एवं पंजीयन विभाग में पंजीकृत हो।
रजिस्टर्ड किरायानामा क्या होता है ?
जैसा कि पूर्व में बताया गया है यदि किरायानामा 11 महीने से अधिक है तो उसे रजिस्टर्ड करवाना आवश्यक है। रजिस्टर्ड किरायानामा तैयार करवाने हेतु दस्तावेजों के पंजीकरण हेतु जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, वही प्रक्रिया रजिस्टर्ड किरायानामा हेतु अपनाई जाती है।
रेंट एग्रीमेंट ऑनलाइन प्रोसेस मुद्रांक एवं पंजीयन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट / ई पंजीयन राजस्थान ( https://epanjiyan.nic.in/ ) पर प्रारंभ किया जाता है ।
मोबाइल से सर्वप्रथम रजिस्ट्रेशन किया जाता है।मोबाइल से ओटीपी लेकर लॉगिन करे।
सर्वप्रथम दोनो पक्षकारों की डिटेल भरते हैं तथा किराये पर लिये जाने वाले परिसर की डिटेल, गवाहों की डिटेल भरकर आदि भरकर किराये की डिटेल भरकर प्रिंट लेते हैं। हमें उक्त पक्रिया में वेबसाइट से TRN नम्बर प्राप्त होता है। ऑनलाइन करने के पश्चात जो रिसीप्ट में शुल्क डिटेल प्राप्त होती है, उस शुल्क का भुगतान ऑनलाइन EGRAS वेबसाइट के माध्यम से कर रिसीप्ट प्राप्त करते हैं।
अब पंजीकरण विभाग की चेक लिस्ट, ऑनलाइन TRN न., शुल्क रिसीप्ट, दो प्रति में किरायानामा विलेख पक्षकारों की फ़ोटो तथा हस्ताक्षर एवं अन्य दसतावेज जैसे परिसर के दस्तावेज, आई डी सहित रजिस्ट्रार के यहाँ पेश करते हैं।
रजिस्ट्रार ऑफिस में दस्तावेज जाँच के पश्चात उनके सिस्टम से फ़ोटो खेंची जाती है तथा अंगूठा स्कैन करने के पश्चात उसी दिन या दूसरे दिन दस्तावेज को दस्तावेज रजिस्टर में दर्ज कर दे दिया जाता है।
पंजीकृत किराएनामे को ऑनलाइन चेक भी किया जा सकता है।
यह देखें :-किरायानामा अधिनियम 2021
भारत में विभिन्न राज्यों में किरायेदारी को नियमन करने हेतु विभिन्न राज्यों के किराया अधिनियम बनाए गए हैं। राजस्थान में राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2003 में पारित किया गया था। जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया है। संपूर्ण किरायेदारों से संबंधित विवाद राजस्थान किराया नियंत्रण (संशोधित) अधिनियम, 2017 ( RAJASTHAN RENT CONTROL (AMENDENT) ACT, 2017 द्वारा प्रशासित होते हैं। इन्ही अधिनियम के तहत किसी परिसर को खाली करवाया जा सकता है अथवा किराए पर दिया जा सकता है। विभिन्न राज्यों में केंद्र सरकार के आदर्श किरायेदारी कानून 2015 के अनुरूप अधिनियम बनाये गए हैं । जैसे-
महाराष्ट्र - रेंट कंट्रोल एक्ट, 1999
दिल्ली - रेंट कंट्रोल एक्ट, 1958
चेन्नई - लीज एंड रेंट कंट्रोल) एक्ट, 1960
किराएदार विनियमन अध्यादेश 2021/ पीडीएफ किरायेदार कानून 2020/ राजस्थान किराया नियंत्रण (संशोधित) अधिनियम, 2017 डाउनलोड करें :-
किन सम्पतियों पर किराया अधिनियम लागू नही है ?
यह अधिनियम कृषि भूमी, लीज पर दिए गए परिसर, अन्य अधिनियम में किरायेदारी समकक्ष सृजित अनुबंध आदि। होटल, धर्मशाला, सराय, कर्षि प्रयोजन हेतु भूमि, होस्टल, बोर्डिंग हाउस आदि पर लागू नही है।
लीज डीड तथा रेंट डीड में मुख्य अंतर
समयावधि -किरायानामा प्रायः लीज से कम अवधि का होता है।
अधिनियम- किरायानामा किरायेदारी अधिनियम के अंतगर्त जबकि लीज संविदा अधिनियम के अंतगर्त आती है।
अनुतोष- लीज अवधि समाप्ति पर परिसर खाली करने ही होता है जबकि किराएनामे में किराया अधिनियम के नियमों के अनुसार खाली करवाया जा सकता है।
किरायानामा में किराए की वर्द्वि की शर्त ना होने पर भी अधिनियम के नियमानुसार किराया वर्द्वि हेतु दावा किया जा सकता है, जबकि पट्टे या लीज में वर्द्वि शर्त के अभाव में लीज राशि बडाई नही जा सकती हैं।
किराएदार के मकान खाली नहीं करने पर क्या करें तथा किराया अदा नही करता है तो क्या करें?
किराएदार द्वारा समय अवधि समाप्ति के पश्चात परिसर खाली नहीं किया जाता है अथवा किराए का भुगतान नहीं किया जा रहा है तो किराया अधिनियम के अनुरूप पूर्व में किराएदार को नोटिस देना अनिवार्य होता है नोटिस की अवधि के अंतर्गत वह मकान खाली नहीं करता है अथवा नोटिस की प्राप्ति से 1 महीने में किराया अदा नहीं करता है तो न्यायालय में उक्त अनुतोष हेतु दायर किया जा सकता है। राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम 2003 की धारा 9D के अनुसार यदि किरायेदार न्यूसेंस वाले कार्य करता है, तो मकान मालिक को परिसर खाली करवाने का अधिकार हो जाता है। इसके अतिरिक्त मकान मालिक युक्तियुक्त किराये अथवा नियमानुसार किराये में वर्द्वि हेतु भी दावा कर सकता है।
लीज क्या होती है?
किसी वस्तु या भवन आदि को उपयोग में लेने हेतु एक अनुबंध जिसमे प्रतिफल की राशि की एवज में उस वस्तु या परिसर को उपयोग में लेने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
इसके दो पक्षकार होते हैं- प्रथम पट्टादाता। पट्टाकर्ता (Leasor) दूसरा पट्टाग्राही (Leasee)
लीज डीड- लीज अनुबंध हेतु विलेख को लीज डीड या पट्टा विलेख के नाम से जाना जाता है।
लीज डीड फॉरमैट इन हिंदी पीडीएफ / लीज डीड format pdf डाउनलोड करें :-
लीज डीड फॉरमैट इन हिंदी पीडीएफ / लीज डीड वर्ड फॉरमेट डाउनलोड करें :-
लीज डीड फॉरमैट इन हिंदी excel / लीज डीड excel फॉरमेट डाउनलोड करें :-
EXCEL FORMAT FOR LEASE DEED
दोस्तो, लीज डीड भी लगभग रेंट एग्रीमेंट के समान ही होती है। ड्राफ्टिंग भी लगभग समान होती है सिवाय टाइटल एवं पार्टी के अलावा। इसी प्रकार की कानूनी तथा सामयिक जानकारी Facts PP Blog से प्राप्त करे और दोस्तों को भी शेयर करें।
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