पावर ऑफ़ अटॉर्नी / मुख्तारनामा विलेख अर्थ, प्रकार, पंजीयन तथा भारतीय कानून

पावर ऑफ़ अटॉर्नी / मुख्तारनामा विलेख  अर्थ, प्रकार, पंजीयन तथा भारतीय कानून 

LIST OF CONTENT

  1. पावर ऑफ़ अटॉर्नी  क्या होती है
  2. पावर ऑफ़ अटोर्नी करने के उद्देश्य
  3. पावर ऑफ़ अटॉर्नी  के प्रकार 
  4. मुख्तारनामा फॉर्मेट / सैंपल
  5. क़ानूनी रूप से मुख्तारनामा और  अधिनियम 
  6. पावर ऑफ़ अटॉर्नी का पंजीकरण  और   पंजीकरण का महत्व
  7. पावर ऑफ़ अटॉर्नी पंजीकरण प्रक्रिया 
  8. पावर ऑफ़ अटॉर्नी पंजीकरण शुल्क 
  9. पावर ऑफ़ अटॉर्नी का निरस्तीकरण
  10. मुख्तारनामा की समाप्ति 
  11. विदेश से मुख्तारनामा 
  12. पावर ऑफ़ अटॉर्नी बनाम रजिस्ट्री  तथा  न्यायिक पक्ष 

पावर ऑफ़ अटॉर्नी  क्या होती है (Power of Attorney meaning in hindi)
पावर ऑफ़ अटॉर्नी ( Power of Attorney) को हिंदी  में "अधिकार पत्र "के नाम से जाना जाता है ।  इसके साथ ही इसका सामान्य प्रचलित नाम '"मुख्तारनामा " या संक्षिप्त में      " POA "  है।  यहाँ मुख्तार शब्द उर्दू का शब्द है जिसका अर्थ प्रतिनिधि (Attorney)  होता है । 
 एक व्यक्ति द्वारा किसी अन्य दूसरे व्यक्ति को दिया गया लिखित तथा क़ानूनी प्राधिकार, जिसके माध्यम से प्रथम व्यक्ति के किसी या किन्ही कार्यों को करने हेतु अन्य व्यक्ति को अधिकृत किया जाता है अर्थात किन्ही कार्यों करने हेतु शक्ति या  पावर प्रदान किया जाता है, जिसके माध्यम से उस अन्य व्यक्ति  वही अधिकार या शक्ति प्राप्त हो जाते है, जो की प्रथम व्यक्ति ने लिखित में प्राधिकार दिया है, मुख्तारनामा / अधिकारपत्र  कहा जाता है।  
अधिकार पत्र विलेख ( POWER OF ATTORNEY DEED) वह लिखित विलेख (Deed ) होता है,  जिसके माध्यम से एक व्यक्ति अपने किसी कार्य करने का कानूनी प्राधिकार दूसरे व्यक्ति कोई स्थानांतरित करता करता है एवं दूसरा व्यक्ति उस व्यक्ति के एवज में उस प्राधिकार के अंतर्गत कार्य करता है।
 पावर ऑफ़ अटॉर्नी,   भारतीय संविदा अधिनियम 1872  की धारा 202 के अनुसार एक एजेंसी (Agency ) या स्वामी -अभिकर्ता सम्बन्ध का गठन करते है ।  इसके दो पक्षकार होते है -प्रथम स्वामी प्रधान ( Principal  )तथा द्वितीय सेवक या अभिकर्ता (Agent ) ।  जिस व्यक्ति के कार्य को किया जाता है, वह स्वामी अथवा प्रिंसिपल  कहलाता है तथा जिस व्यक्ति के द्वारा कहा किया जाता है और अभिकर्ता या एजेंट कहलाता हैइसी प्रिंसिपल तथा एजेंट को  मुख्तारनामा के सम्बन्ध में अधिकारपत्रकर्ता या मुख्तारनामा कर्ता  तथा अधिकारपत्र धारक या मुख्तारनामा धारक  कहा जा सकता है । 
पावर ऑफ़ अटॉर्नी एक्ट , 1882 के अनुसार  की धारा 1A  के अनुसार परिभाषा " अधिकार पत्र  में शामिल है,  ऐसा लिखित विलेख  जो किसी विशिष्ट  व्यक्ति (Specific  Person) को उस व्यक्ति के नाम  पर जो उसे निष्पादित करता है, किसी कार्य के लिए प्राधिकृत  करता है । "
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पावर ऑफ़ अटोर्नी

पावर ऑफ़ अटोर्नी करने के उद्देश्य 

कई बार कोई कार्य व्यक्ति स्वयं नहीं कर सकता है, क्योकि वह कही दूर है अथवा वह शारीरिक रूप से असक्षम है या उसके पास समयाभाव है, तो वह किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से  वह कार्य क़ानूनी रूप से कर सके, इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु विभिन्न कार्यों हेतु मुख्तारनामा विलेख निष्पादित ( Execute ) किया जाता  है।  पावर ऑफ़ अटॉर्नी विभिन्न कार्यों हेतु हो सकती है। जैसे कि किसी सरकारी विभाग में कार्य करने हेतु अधिकृत करना, किन्ही धन संबधी मामलों में, किसी प्रकार की चल या अचल सम्पति का अंतरण हेतु , बैंकिंग कार्यों करने हेतु , किसी क़ानूनी प्रक्रिया में भाग लेने हेतु किसी व्यक्ति को प्राधिकृत करना, किसी सम्पति को  देना अथवा लेना , सम्पति बेचना अथवा खरीदना  इत्यादि।

पावर ऑफ़ अटॉर्नी  के प्रकार 

प्राधिकृत कार्यों के  आधार पर मुख्तारनामा दो प्रकार का होता है :-
  1.  मुख्तारनामा आम / सामान्य अधिकारपत्र (General Power Of Attorney ) - सामान्य सभी कामों के लिए मुख्तारनामा आम (General Power of Attorney /  GOP ) बनाया जाता है । सामान्यत सभी कार्यों हेतु मुख्तारनामा आम बनवाया जाता है। सम्पति संबधी कार्यों हेतु , वित्तीय कार्यों के संपादन हेतु सामान्य अधिकार पत्र (General Power Of Attorney  ) तैयार करवाई  है  । 
  2. मुख्तारनामा खास / विशिष्ट अधिकारपत्र (Specific Power Of Attorney) -   जैसे कि नाम से स्पष्ट है, उक्त पावर ऑफ अटॉर्नी किसी या किन्ही विशेष कार्य के लिए जारी की जाती है। उक्त कार्य के पूर्ण होते ही उक्त अधिकार पत्र का समापन हो जाता है।  जैसे  किसी प्रकार टैक्स जमा   कराना । 
अधिकार पत्र के माध्यम से संपादित कार्यों की प्रकति  आधार पर भी बांटा जा सकता है :-
  • भारत में सम्पति के लिए पावर ऑफ़ अटॉर्नी ( power of attorney for property in india)/अचल संपत्ति संबंधी मामलों में पावर ऑफ अटॉर्नी
  • धन संबंधी मामलों में पावर ऑफ अटॉर्नी
  • पावर ऑफ़ अटॉर्नी  हेल्थ केयर 
  • DURABLE  पावर ऑफ़ अटोर्नी वह पावर   ऑफ़ अटॉर्नी 
    पावर ऑफ अटॉर्नी पावर ऑफ अटॉर्नीकर्ता  की मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाती है किंतु यदि निष्पादन कर्ता चाहे तो इसे स्थाई अथवा ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी बना सकता है जिसके माध्यम से वह घोषणा कर सकता है कि उसकी अशक्षमता (Incapability) की स्थिति में अथवा मृत्यु की स्थिति में भी पावर ऑफ अटॉर्नी जारी रहेगी, इसे ही ड्यूरेबल व स्थाई पावर ऑफ़ अटॉर्नी  के नाम से जाना जाता है

मुख्तारनामा फॉर्मेट / सैंपल  (Power of attorney format/ Power  of  Attorney  Sample )

मुख्तारनामा में स्पस्ट रूप से दोनों पक्षकारों का विवरण होना चाहिए।  दोनों  ही पक्षकारों की सहमति को बताने हेतु दोनों पक्ष्कारों के हस्ताक्षर या अंगूठा निशानी होनी आवश्यक है । पावर ऑफ़ अटॉर्नी  ड्राफ्ट में स्पष्ट  रूप  उस कार्य का विवरण होना चाहिए,जिसके सम्बन्ध में कार्य करने हेतु प्राधिकृत किया गया है, क्योकि वह उक्त विलेख की मूल अंतर्वस्तु होती है । 
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क़ानूनी रूप से मुख्तारनामा और  अधिनियम 

भारत में पावर ऑफ़ अटॉर्नी  हेतु  पावर ऑफ़ अटॉर्नी एक्ट , 1872  अधिनियमित किया गया है । इसके अतिरिक्त पावर ऑफ़ अटॉर्नी को प्रभावित करने वाले अन्य भारतीय कानून भारतीय संविदा अधिनियम , 1872 , सम्पति अंतरण अधिनियम  आदि है । 
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पावर ऑफ़ अटॉर्नी का पंजीकरण  और   पंजीकरण का महत्व

सामान्यतः अधिकारपत्र को नोटरी द्वारा सत्यपित करना ही अनिवार्य है। किन्तु यदि उक्त अधिकारपत्र को सामान्य दस्तावेजों के पंजीकरण हेतु भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के अधीन करवाया जाता है, तो इसकी महत्वतता बढ़ जाती है । विशेष कर सम्पति अंतरण से संबधित अधिकार पत्र पंजीकृत  चाहिए  ।  जब पावर ऑफ़ अटॉर्नी नोटराइज़ या रजिस्ट्रार  ऑफिस में पंजीकृत की  है  तो उसके सत्यापित कॉपी को विभिन्न विभागों में प्रस्तुत करने पर ही उक्त कार्य हेतु उसे अधिकृत माना जावेगा । 

पावर ऑफ़ अटॉर्नी पंजीकरण प्रक्रिया 

अधिकारपत्र को पंजीकृत करवाने हेतु सामान्य दस्तावेज की पंजीकरण  प्रक्रिया लागु होती है , जो पंजीकरण अधिनियम तथा पंजीयन एवं स्टाम्प शुल्क अधिनियम के अनुसार होती है इसके अतिरिक्त सामान्य या विशिस्ट अधिकारपत्र को नोटरी द्वारा भी सत्यापित करने पर  मान्य मणि जाती है इन्हे राज्यों के नियमों  अनुसार नोटरी से अथवा प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के द्वारा सत्यपित करवाया जा सकता है । 

 पावर ऑफ़ अटॉर्नी पंजीकरण शुल्क 

भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 ( The  Indian  Contract  Act , 1872  के अनुसार जो एजेंसी  हित  या  लाभ से संबधित है , उनमे  स्टाम्प ड्यूटी  के रूप में टैक्स देना  अनिवार्य होता है ।  
राजस्थान में  पावर ऑफ़ अटॉर्नी   शुल्क  डाउनलोड  पीडीऍफ़ 

पावर ऑफ़ अटॉर्नी का निरस्तीकरण  (Cancellation of Power of Attorney) तथा ऑनलाइन चेक 

पावर ऑफ़ अटॉर्नी  यदि नोटरी पब्लिक द्वारा  या प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा   सत्यापित है तो  इसे नोटिस  के माध्यम से निरस्त किया जा सकता है  तथा रजिस्ट्रार  ऑफिस  के द्वारा पंजीकृत  पावर ऑफ़ अटॉर्नी  को  Cancellation of Power of Attorney Deed  रजिस्ट्रार ऑफिस में प्रस्तुत कर कभी भी  निरस्त की जा सकती   है 
क पंजीकृत पावर ऑफ़ अटॉर्नी यदि रजिस्ट्रार दस्तावेज के यहाँ पंजीकृत है तो इसे ऑनलाइन भी चेक (power of attorney check online) किया जा सकता है 

मुख्तारनामा की समाप्ति 

मुख्तारनामा चूँकि भारतीय संविदा अधिनियम , 1872 की परिभाषा के अनुसार एक एजेंसी है ।    इसलिए मालिक-अभिकर्ता के सभी नियम इन पर भी लागु होते है।  उन्ही  के  अनुसार पावर ऑफ़  अटॉर्नी अटॉर्नी की समाप्ति   होती है  
  • विशिष्ट  पावर ऑफ़ अटॉर्नी की समाप्ति विशिष्ट प्राधिकृत कार्य की समाप्ति के साथ ही समाप्ति हो जाती है।  
  • पावर ऑफ़ अटॉर्नी कर्ता की  मृत्यु  पर  
  • पावर ऑफ़ अटॉर्नी धारक की मृत्यु पर 
  •  पावर ऑफ़ अटॉर्नी कर्ता के नोटिस पर किसी भी समय 
  • पारस्परिक सहमति द्वारा 

विदेश से मुख्तारनामा 

यदि कोई व्यक्ति विदेश में है तथा  वह भारत में किसी कार्य के लिए या सम्पति  के  हस्तांतरण हेतु पावर ऑफ़ अटॉर्नी  जारी कर सकता है । वहां वह उक्त  पावर ऑफ़ अटॉर्नी को नोटराइज करने के पश्चात  भारतीय दूतावास के  प्राधिकृत अधिकारी द्वारा सत्यापित  विलेख निष्पादित कर  भारत में भेज सकता है । उसकी  वैधता  भारत में निष्पादित पावर ऑफ़ अटॉर्नी के समकक्ष ही होती है । जब वह व्यक्ति भारत में  आता है तो  उसे  सक्षम  अधिकारी से उक्त  विलेख का भारत में पंजीकरण करवाना  अनिवार्य होगा।  विदेश में पावर ऑफ़ अटॉर्नी  डीड  स्टाम्प  पर ना होकर  सादा पेपर  पर ही होती है। 

पावर ऑफ़ अटॉर्नी बनाम रजिस्ट्री  तथा  न्यायिक पक्ष (power of attorney vs registry)

देखा जाए तो सामान्यत पावर  अटॉर्नी को सम्पति की खरीद फरोख्त में इस्तेमाल किया जाता है और यह एक प्रकार कानून का दुरूपयोग है। पावर ऑफ़ अटॉर्नी की रचना सुविधा के लिए है किन्तु लोग स्टाम्प ड्यूटी बचने हेतु उक्त का उपयोग करते आये है  सम्पति अंतरण अधिनियम तथा भारतीय पंजीकरण अधिनियम 1908  के अनुसार अचल सम्पति के अंतरण होने पर उसका पंजीकृत होना अनिवार्य किया गया है, पूर्व में प्रचलित कानून  के अनुसार लोग 500  या 1000  रूपये के स्टाम्प  पर सम्पति की पावर ऑफ़ अटॉर्नी करवा लेते थे जिसे उसके पश्चात किसी अन्य को बेचने पर उसकी सेल डीड का ही पंजीकरण करवा देते थे । जिससे सरकार को स्टाम्प ड्यूटी के रूप में प्राप्त होने वाले टैक्स का नुकसान होता  था 
उक्त के सम्बन्ध में कई क़ानूनी निर्णय में उक्त  प्रथा  को वैध नहीं माना गया है  सुप्रीम कोर्ट का भी कहना है की पावर ऑफ़ अटॉर्नी का उपयोग विक्रय पत्र रजिस्ट्री के स्थान पर नहीं किया जा सकता है इस विलेख के  माध्यम से अचल संपत्ति की खरीद-फरोख्त केवल परिवार के सदस्य ही कर सकते हैं यदि किसी अन्य व्यक्ति की पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से किसी संपत्ति को बेचा जाता है तो उक्त के पावर ऑफ़ अटॉर्नी में सेल डीड के समकक्ष ही संपूर्ण स्टाम्प ड्यूटी  का भुगतान करना होगा

किंतु संपत्ति की अन्य व्यवस्थाओं जैसे संपत्ति को किराए पर देना, संपत्ति को किराए पर लेना, संपत्ति के संबंध में धन एकत्रित करना एवं विभिन्न विभागों में संपत्ति के संबंध में अथवा अन्य शुल्क जमा कराना अथवा मात्र सेल डीड का पंजीकरण करवाने हेतु सामान्य  पावर ऑफ अटॉर्नी जारी की जा सकती है उसका प्रभाव पूर्णता वैध होगा

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