हकत्याग विलेख कैसे ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 2021 करें ?

पुस्तैनी सम्पति में हकत्याग और हकत्याग में महिलाओं की स्थिति

हकत्याग क्या होता है ?

हक त्याग का अर्थ :- पैतृक अथवा पुश्तैनी संपत्ति,  जो किसी को उत्तराधिकार में मिलती है, में से किसी भी सहस्वामी अथवा सहसाझेदार या विधिक उत्तराधिकारी द्वारा उस संपत्ति में से अपने अंश अथवा स्वामित्व या विधिक अधिकार का किसी अन्य सहस्वामी के पक्ष में किया गया त्याग ही हकत्याग (Reliquishment ) कहलाता है। इसे हक तर्क नामा, हक्त्यागनामा आदि नाम से भी जाना जाता है


हकत्याग पत्र या हकत्याग विलेख (Relinquishment Deed/ Release Deed) क्या होती है?

पुश्तैनी संपत्ति में से अपने विधिक अधिकारों का हकत्याग अन्य विधिक उत्तराधिकारियों के पक्ष में करने को हक त्याग कहा जाता है और इस हेतु जो दस्तावेज निष्पादित किया जाता है उसे हक्त्याग  विलेख अथवा रेलिक्विनशमेंट डीड / रिलीज डीड के नाम से जाना जाता है।
हकत्याग को अंग्रेजी में Relishquinshment तथा दस्तावेज को Reliquishment Deed कहते हैं।
किसी भी प्रकार की संपत्ति जो वर्तमान में उसके व रक्त संबंधी के सहस्वामित्व हो अथवा भविष्य में होने वाली हो, को किसी अन्य सहसाझेदार अथवा सहस्वामित्व धारी के पक्ष में स्वेच्छा से सम्पति का त्याग करना होता है। 
हकत्याग नजदीकी रक्त संबंध में ही किया जा सकता है, जिनमें संपत्ति उत्तराधिकार के अंतर्गत प्राप्त होती है। इसके अंतर्गत हक्त्याग माता, पिता, भाई, बहन, दादा या दादी आदि कोई भी कर सकता है।
क्या भाई भी हकत्याग कर सकता है ?  यदि कोई भाई किसी अन्य भाई,बहन या  माता-पिता के साथ संपत्ति में सहस्वामी है तो उनमें से किसी के पक्ष में हक्त्याग कर सकता है।

हकत्याग हेतु प्रॉपर्टी के प्रकार 

संपत्ति दो प्रकार के होते हैं पैतृक या पुस्तैनी संपत्ति एवं स्वअर्जित संपत्ति किन्तु हकत्याग केवल पैतृक संपत्ति में ही किया जा सकता है। स्वअर्जित सम्पति को हकत्याग के माध्यम से अंतरण नही किया जा सकता है।

हकत्याग कोंन कर सकता है? हकत्याग के नियम

किसी भी भाई, बहन, पिता, माता या ऊपर की पीढ़ियों मे कोई हो, जिनको संपत्ति उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है एवं सहस्वामी , सहसाझेदार या  सहउत्तराधिकारी है, हकत्याग कर सकते हैं। एक वयस्क ही हक्त्याग कर सकता है। 

पूर्वकाल में स्त्रियों का संपत्ति में अधिकार का इतिहास

हमारे यहाँ सामान्यतया पुत्रियों का ही हकत्याग करवाया जाता है क्योंकि प्रचलित प्रथाओं के अनुसार पिता की संपत्ति में पुत्री का हिस्सा नहीं माना जाता है। प्राचीन काल में बंगाल में  दायभाग विधि प्रचलित  थी जिसमें मातृसत्तात्मक समाज बनाया गया था और स्त्रियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार था किंतु शेष भारत में मिताक्षरा विधि प्रचलित थी जिसमें पितृसत्तात्मक विधि थी एवं स्त्रियों को संपत्ति में प्राप्त अधिकार अत्यंत सीमित थे।
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में भारत में स्त्रियों के संपत्ति में अधिकार अत्यंत सीमित कर दिए गए थे किंतु भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम संशोधन 2005 में स्त्रियों को पुरुषों के बराबर हिस्सेदार बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर 2005 में एक निर्णय दिया जिसमें 9 सितंबर 2005 से पूर्व यदि पिता की मृत्यु हो चुकी है तो हिंदू अविभाजित परिवार की संपत्ति में बेटियों की हिस्सेदारी नहीं होगी। बाद में सुप्रीम कोर्ट में यह निर्णय दिया कि उक्त अधिनियम 2005 से पूर्व मृत पिता की संपत्ति पर भी लागू होगा। सन 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि पुत्री का अपने मृत पिता की संपत्ति में जन्म से अधिकार होता है। वह हिंदू अविभाजित परिवार की सहदायिक  होती है।

हकत्याग में पंजीकरण की आवश्यकता

पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17(1)(B) के अनुसार हक्त्याग का पंजीकरण आवश्यक है, तभी वह वैध माना जाएगा।
राजस्थान में पहले 500 रुपये के स्टाम्प पेपर पर हकत्याग किया जा सकता था किंतु वर्तमान में यह संशोधन किया गया कि हक त्याग स्टांप ड्यूटी लगेगी जो संपत्ति की डीएलसी रेट के अनुसार 1.5% होगी।
Stamp duty in release deed

वर्तमान में हक्त्याग को टैक्स बचाने के तरीके के रूप में भी माना गया है क्योंकि इससे राज्य सरकार को इससे स्टाम्प ड्यूटी के रूप में दिया जाने वाला टैक्स कम होता है और सरकार को नुकसान होता है।
राजस्थान में दस्तावेज पंजीकरण  फीस पीडीएफ डाउनलोड करने हेतु क्लिक करें :-


हकत्याग प्रारूप पीडीएफ /  हकत्याग फॉरमेट डाउनलोड करने हेतु क्लिक करें :-( हकत्याग डीड इन हिंदी)


Ragistration Process/ हकत्याग (हकत्याग रजिस्ट्री) कैसे होता है ?

सामान्य दस्तावेजों के पंजीकरण हेतु अपनाई जाने वाली प्रक्रिया ही हक्त्यागनामा दस्तावेज के पंजीकरण की प्रक्रिया होती है। 
  1. सर्वप्रथम अनुभवी अधिवक्ता से हकत्याग पत्र तैयार करवाये
  2. सम्पति की वैल्यूएशन DLC RATE के अनुसार करे।
  3. स्टाम्प एवं मुद्रांक विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण कर एवं DLC दर के अनुसार उचित स्टाम्प ड्यूटी भुगतान कर TRN प्राप्त करे।
  4. हक्त्यागपत्र, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन TRN के साथ ही स्टाम्प ड्यूटी भुगतान रसीद, हक्त्यागकर्ता एवं हकत्यागग्रहीता तथा दो गवाहों के आधार, पेन, फ़ोटो आदि के साथ चेक लिस्ट हस्ताक्षरशुदा सहित रजिस्ट्रार, स्टाम्प एवं मुद्रांक विभाग के यहाँ पेश करे।
  5. टी आर एन नंबर के आधार पर पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग आपके ऑनलाइन आवेदन पत्र को चेक करेगा और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित सभी पक्षकारों के अंगूठे स्कैन करेगा एवं फोटो ली जाएगी एवं यदि स्टाम्प ड्यूटी कम भुगतान की गई है तो कम राशि की  वहां रसीद काट दी जाएगी।
  6. समस्त दस्तावेज जांच करने के पश्चात उसी दिन या दूसरे दिन मूल दस्तावेजों को रिकॉर्ड हेतु स्कैन करने के पश्चात एवं रजिस्ट्री रजिस्टर में दर्ज करने के पश्चात मूल हक्त्यागपत्र संबंधित पक्ष को प्रदान कर दिया जाएगा।
राजस्थान में दस्तावेज रजिस्ट्रेशन हेतु ऑफिसियल  वेबसाइट
http://epanjiyan.nic.in/ है। ऐसी वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जाता है। विभिन्न राज्य में मुद्रा एवं पंजीयन विभाग के आधिकारिक वेबसाइट भिन्न-भिन्न है जिनके माध्यम से हक्त्याग का रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।

गैर पुस्तैनी सम्पति में हकत्याग

हक्त्याग गैर पुश्तैनी संपत्ति में भी किया जा सकता है। यदि दो या अधिक व्यक्ति संयुक्त रूप से किसी संपत्ति को खरीदते हैं एवं उसके पश्चात उनमें से कोई पक्ष दूसरे के दूसरे से साझीदार के पक्ष में हक त्याग कर सकता है किन्तु उसे भी ऊपर दी गई प्रक्रिया के अनुसार समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करनी होंगी।

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