कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र एवं उत्तराधिकार प्रणामपत्र कैसे बनवाये ?

भारत में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु निर्वसीयती अर्थात बिना वसियत घोषित किए हो जाती है तो उसके उत्तराधिकार (SUCCESSION) को परिभाषित करने के लिए विभिन्न कानून बनाए गए हैं।  जैसे हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम जिनके आधार पर निर्वसीयती व्यक्ति की स्थावर अथवा जंगम संपत्ति(अचल एवं चल सम्पति) का उत्तराधिकारी तय किया जाता है।
Succession Certificate & legal heir certificate

उत्तराधिकारी तय करने की प्रक्रिया के प्रकार

उत्तराधिकारी तय करने की प्रक्रिया के आधार पर  उत्तराधिकार प्रमाण पत्र दो प्रकार के होते हैं :-
  • प्रथम सामान्य कानूनी वारिस  प्रमाणपत्र / विधिक उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र (LEGAL HEIRS CERTIFICATE)
  • द्वितीय उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (SUCCESSION CERTIFICATE)

कानूनी वारिस प्रमाण पत्र तथा उत्तराधिकार प्रमाण पत्र में मुख्य अंतर

  • सामान्य कानूनी वारिस प्रमाणपत्र नगरपालिका अथवा पंचायत के सदस्य द्वारा मृत व्यक्ति के उत्तराधिकारी के दस्तावेज के आधार पर घोषणा एवं संभावित उत्तराधिकारी के शपथ पत्र के आधार पर तहसीलदार अथवा उपखंड मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया जाता है। यह प्रथम दृष्टया विधिक उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र । कानूनी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (LEGAL HEIR CERTIFICATE)  होता है। जबकि उत्तराधिकार प्रमाण पत्र उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए जिला न्यायाधीश  (DISTRICT JUDGE) द्वारा जारी किया जाता है।
  • सामान्य विधिक वारिस प्रमाणपत्र कानूनी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (LEGAL HEIR CERTIFICATE) तहसीलदार अथवा उपखंड मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया गया है। सामान्य कार्य हेतु उत्तराधिकार का प्रमाण पत्र होता है जैसे कि बिजली के बिल, टेलीफोन कनेक्शन, पानी कनेक्शन नाम परिवर्तन हेतु आवेदन, काश्तकारी भूमि में नाम परिवर्तन आदि किंतु उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (SUCCESSION CERTIFICATE) जो जिला न्यायाधीश ( DISTRICT JUDGE) द्वारा जारी किया जाता है।संपूर्ण चल अथवा अचल संपत्ति हेतु उत्तराधिकार का समुचित एवं अंतिम प्रमाण पत्र होता है। यह सभी जगह  वैध माना जाता है।
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सामान्य कानूनी वारिस प्रमाण पत्र ।विधिक उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (LEGAL HEIRS CERTIFICATE)

विधिक उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र क्या होता है ?

विधिक उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र को कानूनी वारिस प्रमाण पत्र अथवा कुर्सीनामा या वारिसनामा के नाम से भी जाना जाता है। यह सामान्य कार्य हेतु विधिक उत्तराधिकारी का प्रमाण पत्र होता है। जो प्रशासनिक अधिकारी जैसे तहसीलदार अथवा उपखंड मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया जाता है ।

वारिसनामा आवेदन कौन कर सकता है ?

सामान्य वारिस प्रमाण पत्र तथा कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र हेतु आवेदन मृत व्यक्ति के निकट संबंधी जैसे बेटा बेटी पत्नी माता पिता आदि द्वारा नियमानुसार आवेदन किया जा सकता है।

लीगल हेयर आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

  • संबंधित ग्राम पंचायत लक्ष्मण नगर पालिका का सत्यापन
  • वारिस प्रमाण पत्र हेतु आवेदन पत्र निर्धारित प्रारूप में
  • निर्वसीयती मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र
  • विधिक उत्तराधिकारी होने के आशय का शपथ पत्र निर्धारित स्टांप पर
  • सभी विधिक उत्तराधिकारियों के पहचान पत्र, एड्रेस प्रूफ आदि।

कानूनी वारिस प्रमाण पत्र जारी करने हेतु प्रक्रिया

  • निर्धारित प्रारूप में कानूनी वारिस प्रमाणपत्र आवेदन पत्र नगर पालिका अथवा पंचायत या तहसील से प्राप्त करें ।
  •  आवेदन पत्र के साथ विधिक उत्तराधिकारी के संबंध में शपथ पत्र एवं स्थानीय वार्ड पंच अथवा नगर पालिका सदस्य का लेटर पैड पर कानूनी उत्तराधिकारी होने के आशय का प्रमाण पत्र, राशन कार्ड एवं वोटर आईडी, आधार कार्ड आदि सलग्न करने के पश्चात तहसीलदार या उपखंड अधिकारी  कार्यालय में प्रस्तुत करें। 
  • उक्त आवेदन की जांच के पश्चात समस्त सदस्यों को सत्यापित करने के पश्चात कानूनी वारिस प्रमाण पत्र तहसीलदार अथव उपखंड मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर से जारी कर दिया जाएगा ।

सामान्य  कानूनी वारिस प्रमाण पत्र का उपयोग

कानूनी वारिस प्रमाण पत्र का उपयोग टेलीफोन, नल, बिजली आदि के कनेक्शन में, राशनकार्ड में नाम परिवर्तित करवाने हेतु, काश्तकारी भूमि नामांतरण करवाने हेतु उपयोग किया जा सकता है।

विधिक उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र हेतु आवेदन फॉर्म पीडीएफ डाउनलोड


यह भी देखे

उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (SUCCESSION CERTIFICATE)

उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र क्या है ?

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 अथवा भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत बताई गई प्रक्रिया के अनुसार उत्तराधिकारी होने का जो प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, वह उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र अथवा सकसेशन सर्टिफिकेट के नाम से जाना जाता है।

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र इन इंग्लिश 

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र को इंग्लिश में सक्सेशन सर्टिफिकेट (SUCCESSION CERTIFICATE ) के नाम से जाना जाता है।

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की आवश्यकता

किसी व्यक्ति की बिना वसीयत के मृत्यु होने की स्थिति में उत्तराधिकारी तय करना कई बार अत्यंत कठिन होता है। क्योंकि मृत व्यक्ति ने अपने विधि का उत्तराधिकारी की घोषणा नही की हुई होती  है तथा साथ ही विभिन्न व्यक्ति उसकी चल एवं अचल संपत्ति में उत्तराधिकार का दावा करते हैं अर्थात विवाद की स्थिति होती है। साथ ही भारत के विभिन्न संपत्ति कानूनों के तहत उत्तराधिकारी तय करने हेतु उत्तराधिकार प्रमाण पत्र अथवा न्यायिक उत्तराधिकार सर्टिफिकेट मांगा जाता है जो कि समुचित न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए तथा यह भारत में एवं अन्य देश में भी पूर्णरूपेण कानूनी रूप से वैद्य हो। 

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र हेतु आवश्यक दस्तावेज

उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र जारी करवाने हेतु निम्न दस्तावेजों की आवश्यकता होती है
  • निर्वसीयती मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र
  • निर्वसीयती व्यक्ति का निवास स्थान प्रमाण पत्र 
  • निर्वसीयती व्यक्ति व्यक्ति की चल व अचल संपत्ति के दस्तावेज समाचार पत्र में विज्ञापन 
  • उत्तराधिकारी का राशन कार्ड फोटो आईडी पता आईडी आदि दस्तावेज 

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र हेतु कौन आवेदन कर सकता है?

निर्वसीयती मृत व्यक्ति के पुत्र, पुत्री,माता, पिता एवं पत्नी प्राथमिक रूप से व अन्य  पूर्वज या रिश्तेदार जो उस व्यक्ति से कानून के तहत संपत्ति प्राप्त करने के अधिकारी हो या किसी दस्तावेज के आधार पर मृत व्यक्ति के चलत या अचल संपत्ति में स्वामित्व में हकदार हों, द्वितियक रूप से आवेदन कर सकते हैं।

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया

  • उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 अथवा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1925 की धारा 372 के तहत आवेदन करना होता है। आवेदन केवल  डिस्ट्रिक्ट जज अथवा जिला न्यायधीश के यहां किया जाता है।
  •  आवेदन में मृत व्यक्ति की मृत्यु दिनांक, मृत्यु का स्थान, मृत्यु के समय तक निवास स्थान एवं मृत व्यक्ति की जंगम अथवा स्थावर संपत्ति का विवरण आवेदन की अंतर्वस्तु में दिया जाता है। 
  • आवेदन के पश्चात संपत्ति में हकदार सभी व्यक्तियों को नोटिस जारी किए जाते हैं एवं स्थावर संपत्ति पर भी नोटिस चस्पा किए जाते हैं।
  •   45 दिन का समय किसी भी प्रकार की आपत्ति दर्ज करवाने के लिए दिया जाता है। 
  • इसके साथ साथ ही दो समाचार पत्रों में उक्त आशय की सूचना का पब्लिक नोटिस दिया जाता है। 
  • यदि 45 दिन की अवधि में किसी प्रकार की आपत्ति प्राप्त नहीं होती है तो जिला न्यायाधीश न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी कर देता है।  किंतु यदि किसी प्रकार की आपत्ति 45 दिन की अवधि के अंदर करवाई जाती है तो जिला न्यायाधीश उस आपत्ति को तय करने के पश्चात उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करता है।

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र आवेदन की विषय वस्तु

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र आवेदन हेतु जिला न्यायाधीश के यहां जो दावा फाइल किया जाता है उसमें निम्न सूचनाएं सम्मिलित होती है:-
मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र, मृत्यु दिनांक, उसका मृत्यु के समय निवास स्थान एवं उसकी चल एवं अचल संपत्ति आदि का विवरण एवं उसके विधिक उत्तराधिकारी का विवरण सम्मिलित होता है।

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए अदालत की फीस 

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करने हेतु उत्तराधिकार प्रमाणपत्र न्यायालय शुल्क अदा करना पड़ता है जो कि स्टांप पेपर के रूप में होता है। यह उत्तराधिकार प्रमाण पत्र हेतु चल  व अचल संपत्ति की वैल्यू पर निर्भर करता है।

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की वैधता

जिला न्यायाधीश द्वारा जारी किया गया उत्तराधिकार प्रमाण पत्र अथवा सकसेशन सर्टिफिकेट मृत व्यक्ति का उत्तराधिकारी होने का निश्चयात्मक एवं अंतिम प्रमाण पत्र होता है यह न्यायिक प्रक्रिया द्वारा जारी होने की वजह से भारत एवं विदेश में भी मान्य होता है।

उत्तराधिकार प्रमाणपत्र लागत

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करवाने में लगभग ₹50000 का खर्चा हो जाता है।  मोटे तौर पर 20000 से ₹25000 पेपर पब्लिकेशन में लग जाते हैं। क्योंकि दो न्यूज़पेपर में पब्लिक नोटिस देना अनिवार्य होता है। इसके अलावा न्यायालय शुल्क एवं वकील की फीस आदि का खर्चा हो जाता है।
उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करवाने में समय सकसेशन सर्टिफिकेट में न्यूनतम 6 महीने का समय लग जाता है।

दोस्तों, इस पोस्ट में हमने कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र एवं न्यायिक उत्तराधिकार प्रमाण पत्र कैसे बनाएं ? जानकारी प्राप्त कर ली है । इसी प्रकार के हमारे सामान्य जीवन में उपयोग आने वाले भारतीय कानूनों की जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग  से जुड़े रहिए

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1 टिप्पणी:

  1. Varisu Certificate to claim their rights over the deceased person’s properties and dues. The subject of Tamil Nadu state can utilize for varisu certificate download in english, tamil (Legal Heir Certificate) online using Tamilnadu e-Sevai portal online.

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