वसीयत क्या है और वसीयत कैसे करे ? वसीयत फॉर्मेट डाउनलोड पीडीऍफ़

वसीयत क्या है और वसीयत कैसे करे ? वसीयत फॉर्मेट डाउनलोड पीडीऍफ़ 

विषयसूची 

  1. वसीयत क्या होती है ?

  2. वसीयत के प्रकार 

  3. वसीयत कोन कर सकता है ?

  4. वसीयत किसे की जा सकती है ?

  5. वसीयत में कोन गवाह हो सकता है ?

  6. वसीयत का फॉर्मेट

  7. वसीयत की वैधता 

  8. वसीयत का पंजीकरण 

  9. पंजीकरण हेतु आवश्यक दस्तावेज 

  10. वसीयत  पंजीकरण प्रक्रिया 

  11. वसीयत का निष्पादन 

  12. वसीयत को चुनौती कैसे दी जा सकती है ?

  13. क्या पैतृक सम्पति का वसीयत किया जा सकता है? 

  14. ऑनलाइन वसीयत चेक  कैसे करे ?

  15. मुस्लिम विधि तथा हिन्दू विधि में वसीयत 


वसीयत क्या होती है ? What is Will Deed?

किसी व्यक्ति द्वारा अपनी मृत्यु के पश्चात अपनी संपत्ति, चाहे वह किसी भी रूप में हो, की एक व्यवस्था हेतु अपनी इच्छा का लिखित दस्तावेज का निष्पादन वसीयत कहलाता  है। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 की धारा 3 के अनुसार वसीयतकर्ता व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति के संबंध  में अपने इस आशय का कथन या घोषणा जिसमे वह अपनी मृत्यु के पश्चात लागु करने की इच्छा या आशय रखता है, वसीयत कहलाती है।इसे वसीयतनामा,  इच्छापत्र के नाम से भी जाना जाता है। वसीयत को इंग्लिश में विल  (Will) कहा जाता है।

इस प्रकार वसीयत के माध्यम से वसीयतकर्ता  अपनी इच्छानुसार सम्पति का विभाजन अपनी मृत्यु पश्चात तय कर सकता है 

वसीयतनामा  के प्रकार 

विशेषाधिकार के अनुसार  वसियत को दो प्रकार में बांटा जा सकता है :-

  1. विशेषाधिकार वसीयत :- यह वसीयत सैनिकों से युद्ध में जाते समय तैयार की जाती है तथा यह मौखिक भी हो सकती है इसमें विशेषाधिकार निहित होता है ।
  2. विशेषाधिकाररहित या सामान्य वसीयत :- यह वसीयत आम आदमी के द्वारा की जाती है ।

पंजीकरण के आधार पर वसीयत दो प्रकार की होती है :-

  1. पंजीकृत वसीयतनामा या इच्छापत्र (Registered Will)
  2. अपंजीकृत वसीयतनामा या इच्छापत्र  (Unregistered Will)

वसीयत कोन कर सकता है ?

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम;1925 के अनुसार वह व्यक्ति जो भारतीय वयस्कता अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत वयस्कता प्राप्त कर चुका है  अर्थात  उसमें 18 वर्ष की उम्र पूर्ण कर ली हो एवं स्वस्थचित तथा वसीयत करने का अभिप्राय एवं इच्छा रखता हो, वसीयत कर सकता है वसीयत करने हेतु वृद्ध होना आवश्यक नहीं है कोई भी व्यक्ति व्यस्क होने के पश्चात अपनी सम्पति की व्यवस्था हेतु वसीयत कर सकता है 

वसीयत किसे की जा सकती है ?

सामान्यतः वसीयत पुत्र, पुत्र, भाई-बहन अथवा  माता-पिता के नाम से की जा सकती है किंतु यह किसी अन्य व्यक्ति के नाम से भी की जा सकती है ऐसी स्थिति में संपत्ति स्वार्जित  होनी चाहिए एवं कुछ शर्तों के अधीन रहते हुए पुश्तैनी संपत्ति को भी वसीयत कर सकते हैं इस प्रकार वसीयत किसी भी व्यक्ति के नाम से की जा सकती है वसीयत के माध्यम से सम्पति के ट्रस्टी तथा बेनेफिसिएरी को भी घोषित किया जा सकता है 

वसीयत में कोन गवाह हो सकता है ?

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम  के अंतर्गत के गवाह का भी स्वस्थ चित्र तथ व्यस्क होना आवश्यक है गवाह का  वसीयत में लाभार्थी नहीं होना चाहिए वसीयत में लाभार्थी की गवाही स्वीकार नहीं की जा सकती है भारतीय पंजीकरण अधिनियम के अनुसार वसीयत में दो गवाह होने चाहिए 

वसीयत का फॉर्मेट

कानूनन  वसीयत का कोई फॉर्मेट तय नहीं किया गया है वसीयत किसी भी रूप में की जा सकती है सादा कागज पर भी वसीयत की जा सकती है किन्तु अन्य आवश्यक बातें जैसे दो सक्षम गवाह की उपस्थिति, हस्ताक्षर , स्पस्ट सम्पति तथा उत्तराधिकारी की घोषणा आदि होना अनिवार्य है 

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वसीयत की वैधता 

कोई भी वसीयत वैध  मानी जाती है , चाहे वह पंजीकृत (Registered) हो अथवा ना हो चाहे। वह सादा कागज पर हो या स्टाम्प पेपर पर हो।  सभी प्रकार की वसीयत को वैध माना गया है, यदि उसमे आधारभूत वसीयत के विधमान हों । जैसे वसीयतकर्ता व् गवाहों के हस्ताक्षर हों , सम्पति व् उत्तराधिकारियों का स्पस्ट उल्लेख आदि ।

एक वसीयत बनाने के पश्चात अनंतकाल तक लागु होती है किन्तु वसीयतकर्ता के जीवन काल में वसीयत को बदला जा सकता है या उसको अपडेट भी किया जा सकता है या निरस्त भी किया जा सकता है । यदि अनेक वसीयत की जाती है तो पूर्व वसीयत को निरस्त कर दिया जाना चाहिए यदि पूर्व वसीयत निरस्त नहीं की जाती है तो मृत्यु पूर्व अंतिम वसीयत को ही वैध माना जाता है 

यह भी देखें

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वसीयत काा पंजीकरण 

पंजीकरण अधिनियम 1912 की धारा 27 के अनुसार वसीयत का पंजीकरण वैकल्पिक माना गया है कानूनन वसीयत का पंजीकरण करवाया  जाना आवश्यक है किंतु भविष्य में कानूनी विवाद से बचने हेतु वसीयत का पंजीकरण करवा लेना चाहिए । वसीयत का पंजीकरण वसीयत की प्रमाणिकता बढ़ाता है

पंजीकरण अधिनियम 1960 की धारा 41 के अनुसार विशेष परिस्थितियों में वसीयत का पंजीकरण मृत्यु के उपरांत भी करवाया जा सकता है

पंजीकरण हेतु  दस्तावेज 

वसीयत के पंजीकरण हेतु निम्न दस्तावेज की आवश्यकता होती है :- 

  1. रजिस्ट्रार द्वारा निर्धारित प्रारूप में चेक लिस्ट 
  2. सुस्पष्ट भाषा में वसीयत का ड्राफ्ट 
  3. दो गवाह तथा उनकी फोटो आई डी व एड्रेस प्रूफ 
  4. वसीयतकर्ता फोटो आई डी व एड्रेस प्रूफ
  5. संबधित शुल्क जमा रसीद 

 वसीयत  पंजीकरण प्रक्रिया 

  • वर्तमान में सभी राज्यों में ऑनलाइन वसीयत पंजीकरण(Online Will Registration) होता है वसीयत पंजीकरण करने की प्रक्रिया दस्तावेजों के पंजीकरण करने की प्रक्रिया के समान होती है सर्वप्रथम स्पष्ट भाषा में समस्त प्रॉपर्टी का विस्तृत वर्णन एवं उत्तराधिकारी का विस्तृत वर्णन करते हुए ड्राफ्ट किसी कानूनी सलाहकार के माध्यम से तैयार किया जाना चाहिए
  • इसके पश्चात स्वयं तथा गवाह के फोटो आईडी एवं एड्रेस प्रूफ एवं फोटो लगाकर तथा चेक लिस्ट के साथ संबंधित क्षेत्र के रजिस्ट्रार के यहां पेश की जाती है
  • रजिस्ट्रार ऑफिस में दस्तावेज चेक किए जाते हैं एवं इसके पश्चात नाम मात्र का शुल्क जमा किया जाता हैवसीयतकर्ता  एवं गवाहों की फोटो लिए जाते हैं एवं अंगूठा स्कैन किया जाता है
  • इसके पश्चात रजिस्टर ऑफिस दस्तावेज को चेक करने के पश्चात वसीयत प्रदान कर देता है

विशेष बातें - 

  • पंजीकरण अधिनियम के अनुसार किसी बीमार व्यक्ति की वसीयत घर, अस्पताल , जेल या अन्य स्थान पर भी वसीयत का रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है, इस हेतु नियमानुसार रजिस्ट्रार ऑफिस में अतिरिक्त शुल्क जमा होता है इसके उपरांत रजिस्ट्रार उक्त स्थान पर जाकर वसीयत पंजीकृत करता है 
  • पंजीकरण अधिनियम में दिए गए प्रावधान के अनुसार बंद लिफाफे में भी वसीयत को पंजीकृत करवाया जा सकता है इसको रजिस्ट्रार ऑफिस में ही जमा करवाया जा सकता है बंद लिफाफे को स्वयं रजिस्ट्रार भी खोल नहीं सकता है  वसीयतकर्ता के मृत्यु  पश्चात उसके उत्तराधिकारियों के आवेदन पर ही वसीयत खोली जा सकती है ।

वसीयत का निष्पादन 

वसीयत से किसी संपत्ति के अंतरण होता है  वसीयत के निष्पादन हेतु जिला न्यायालय में आवेदन किया जाता है वसीयत के आधार पर समस्त उत्तराधिकारियों  को नोटिस जारी करते हुए न्यायालय उनकी सुनवाई करता है तत्पश्चात प्रोबेट अथवा प्रशासन पत्र जारी करता है जिसके आधार पर संपत्ति वसीयत के अनुसार समस्त उत्तराधिकारी में बाँट  दी जाती है

वसीयत को चुनौती कैसे दी जा सकती है ?

  • वसीयत को चैलेंज करने के निम्न आधार हो सकते है :-
  • वसीयत झूठ या असम्यक असर के द्वारा तैयार की गई हो 
  • त्रुटिपूर्ण दस्तावेज या फर्जी दस्तावेज के आधार पर तैयार की गई है 
  • वसीयत दबाव या धमकी  या उत्पीड़न में तैयार करवाई गई है 
  • वसीयतकर्ता व्यस्क या स्वस्थचित्त न हो 
  • दो गवाह न हो या गवाह व्यक्त या स्वस्थचित्त न हो 
  • अन्य परिस्थितिजन्य उचित आधार 

वसीयत का परिसीमाकाल या वसीयत को चैलेंज करने का समय परिसीमा अधिनियम (limitation Act) के अनुसार 12 साल तय किया गया  हैं अर्थात किसी वसीयत के इसके  पश्चात चैलेंज नहीं किया जा सकता है

क्या पैतृक सम्पति का वसीयत किया जा सकता है? 

कोई भी व्यक्ति अपनी स्वार्जित संपत्ति को किसी को भी वसीयत कर सकता है इसमें उसके उत्तराधिकारी किसी प्रकार की बाधा नहीं डाल सकते है  इसके साथ ही पैतृक संपत्ति की भी वसीयत की जा सकती है किन्तु पैतृक सम्पति की वसीयत के पश्चात कई क़ानूनी बाधाएं उत्पन्न हो जाती है इसलिए पैतृक सम्पति में अपने हिस्से की वसीयत करने से पूर्व उस सम्पति में से कानूनन अपना हिस्सा पृथक करवा लेने चाहिए 

ऑनलाइन वसीयत चेक  कैसे करे ?

एक पंजीकृत वसीयत ऑनलाइन चेक की जा सकती है कई राज्यों में पंजीकृत दस्तावेज डाउनलोड करने के ऑनलाइन सुविधा प्रदान कर रखी है , उक्त वेबसाइट से कुछ शुल्क जमा करके पंजीकृत दस्तावेज की प्रति प्राप्त की जा सकती है इन्ही वेबसाइट के माध्यम से रजिस्टर्ड वसीयत चेक तथा रजिस्टर्ड वसीयत ऑनलाइन डाउनलोड की जा सकती है 

वसीयत असली है या नकली उसकी जानकारी हेतु रजिस्ट्रेशन करवाया जाना चाहिए। क्योंकि रजिस्ट्रार ऑफिस में फोटो खींचा जाता है और अंगूठा स्कैन किया जाता है जो उसकी सचाई के बारे में जानकारी देता है और वसीयत की प्रमाणिकता का घोतक है 

सुप्रीम के एक वाद में कहा भी गया है कि  वसीयत में सम्पति का अंतरण शामिल है अतः  पंजीकरण अधिनियम, 1908  तथा भारतीय स्टाम्प अधिनियम  1960 की धारा 17 के अनुसार वसीयत का पंजीकरण अनिवार्य है उसके बिना वसीयत वैध नहीं मानी जा सकती है 

मुस्लिम विधि तथा हिन्दू विधि में वसीयत 

मुस्लिम व्यक्ति की वसीयत के सम्बन्ध में व्यक्तिगत विधि (Personal Law) शरीअत लागु होती है जिसमे स्पष्ट रूप से वसीयत के बारे में नहीं बताया गया है, एक मुस्लिम अपनी सम्पति में से खर्चे काटने के पश्चात एक तिहाई से ज्यादा की वसीयत नहीं कर सकता है 

हिन्दू  व्यक्ति पर भी व्यक्तिगत विधि लागु होती है किन्तु इसे अधिनियमित किया जा चूका है इसलिए हिन्दुओ पर हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम,1956  के नियम लागु होते है 

हिन्दू एवं मुस्लिम के अतिरिक्त अन्य सभी पर वसीयत के सम्बन्ध में भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के नियम लागु होतें है 

 


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