POCSO ACT 2012 क्या है ?प्रावधान, जमानत, दंड एवं प्रतिकर
दोस्तों, आजकल राजस्थान के एक केस में पोस्को एक्ट के अंतर्गत फांसी की सजा सुनाई गई है। जो संभवतः इस अधिनियम के अधीन फांसी की भारत में पहली सजा है। आखिर पोस्को एक्ट क्या है और इसके सम्बन्ध में इतनी सख्त सजा क्यों है ? POCSO ACT FULL FORM क्या है ? PUNISHMENT UNDER POCSO ACT 2012, POCSO ACT FIR सहित पॉस्कों कानून क्या है, के बारे में जानेंगे।
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विषयसामग्री
- POCSO ACT 2012 क्या है ?
- POCSO एक्ट इन हिंदी पीडीऍफ़ डाउनलोड
- पनिशमेंट अंडर पॉस्को एक्ट 2012
- पॉस्को एक्ट में जमानत
- पॉस्को एक्ट में समझौता
- पोस्को एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य केस निर्णय
- एक्ट में प्रतिकर
- बालकों से संबधित अन्य महत्वपूर्ण अधिनियम
पॉस्कों एक्ट क्या है ?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 (3) तथा सयुक्त राष्ट्र संघ के बालकों के अधिकारों के संबंध में सम्मलेन के अनुरूप 11 दिसंबर, 2012 को उक्त अधिनियम भारत की संसद के द्वारा लागु किया गया था। भारत में महिला एवं बालविकास विभाग के अधीन है
POCSO ACT FULL FORM "THE PROTECTION OF CHILDREN FROM SEXUAL OFFENCES ACT है। POCSO ACT 2012 को हिंदी में " लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम, 2012 " कहा जाता है।
यह अधिनियम 18 वर्ष कम उम्र के लड़के तथा लड़की दोनों का समान रूप से लैंगिक हमले, लैंगिक उत्पीड़न एवं पोनोग्राफी के प्रति सुरक्षा तथा सरंक्षण प्रदान करता है। यह अधिनियम 18 वर्ष से कम उम्र के लड़के अथवा लड़की के प्रति हुए योन अपराधों के सम्बन्ध में लागु किया जाता है।
अधिनियम के उद्देश्य :बालकों के लैंगिक शोषण तथा दुरूपयोग की रोकथाम विशेषकर लैंगिक क्रियाकलाप हेतु बालक को उत्प्रेरित अथवा प्रपीड़न करना, वैश्यावर्ती या अन्य गैरकानूनी व्यवसायों तथा अश्लील गतिविधियों तथा सामग्रियों में बालकों का शोषणात्मक उपयोग करने की रोकथाम करना एवं सजा का प्रावधान करना है।
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पॉस्को एक्ट 2012 BARE ACT पीडीऍफ़ डाउनलोड
लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम, 2012 के प्रावधान निम्नानुसार है :-
POCSO ACT BARE ACT PDF DOWNLAD हेतु निम्न लिंक पर क्लिक करे :-
सन 2019 तथा 2020 में उक्त अधिनियम में संशोधन कर इसके प्रावधानों को और अधिक सख्त बनाया गया है
लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2019 के प्रावधान निम्नानुसार है :-POCSO ACT AMENDMENT 2019 PDF DOWNLAD हेतु निम्न लिंक पर क्लिक करे :-
EPF ACT रजिस्ट्रेशन, रिफंड तथा नियम
पॉस्को एक्ट 2012 के अधीन सजा के प्रावधान
2019 में संशोधन कर सजा की अवधी को बढ़ाया गया था जिसमे आजीवन कारावास के साथ-साथ मृत्यु दंड का भी प्रावधान किया गया है।
बालकों से सम्बंधित विभिन्न अपराधों को देखते हुए निम्न प्रकार से सजा के प्रावधान है :-
सेक्शन-4 पेनिट्रेटिव सेक्सुअल असाल्ट ( बालकों से बलात्कार ) -उक्त के लिए सजा 10 वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु यदि बालक की आयु 16 वर्ष से कम है तो उक्त सजा 20 वर्ष से कम नहीं किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगी।
सेक्शन 10 : स्पर्श से संबधित योन अपराध : उक्त धारा में 5 वर्ष से 7 साल तक की सजा तथा जुरमाना से दण्डित करने का प्रावधान किया गया है।
सेक्शन 11 : बालकों का पोनोग्राफी में उपयोग : विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार 5 / 7 या 10 वर्ष से अधिक सजा एवं जुर्माना का प्रावधान
सेक्शन 15: बालकों संबधित पोनोग्राफी सामग्री रखना : 3 या 5 साल से अधिक सजा एवं जुर्माने का प्रावधान
पोस्को एक्ट में जमानत प्रावधान
पोस्को एक्ट में समझौता
POCSO ACT में अपराध समझौता योग्य नहीं होता है। पुलिस के पास प्रस्तुत समझौता या निम्न न्यायालय में प्रस्तुत समझौते के आधार पर FIR को निरस्त नहीं क्या जा सकता है। किन्तु दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के अधीन उच्च न्यायालय उक्त समझौते को मान्यता दे सकता है एवं FIR को निरस्त कर सकता है बर्शते कि उक्त समझौता कानून की मूल भावना के विपरीत ना हो।
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पोस्को एक्ट 2012 में सुप्रीम कोर्ट निर्णय
पोक्सो अधिनियम में विभिन्न सुप्रीम कोर्ट के निर्णय है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि यदि लड़का अथवा लड़की दोनों नाबालिग हो तथा लड़का अपराधी हो तो भी वह पोक्सो अधिनियम की परिधि में आता है। यदि दोनों पक्षकार नाबालिग हो तो उक्त अधिनियम के अंतर्गत मामले समझौते योग्य नहीं है किन्तु उक्त परिस्थितियों में समझौते की संभावना के संबंध में विचार किया जा सकता है। ऐसा न्यायालय ने अपने निर्णयों में कहा है।
अधिनियम में प्रतिकर के प्रावधान
THE PROTECTION OF CHILDREN FROM SEXUAL OFFENCE RULES 2020 की धारा 9 में पोक्सो एक्ट के अंतगर्त पीड़ित को प्रतिकर देने के सम्बन्ध में निम्न प्रावधान किये गए है :-
धारा 9 के अनुसार पोक्सो न्यायालय FIR दर्ज होने के उपरांत स्वयं, बालक के आवेदन या बालक के लिए आवेदन पर समायोजित हो जाने वाला अंतरिम प्रतिकर प्रदान करने का आदेश दे सकता है। यदि अभियुक्त दोषसिद्ध हो जाता है या निर्दोष करार किया जाता है या अभियुक्त का पता नहीं चलता या पहचाना नहीं जाता किन्तु न्यायालय के विचार में बालक को लैंगिक चोट या हानि हुई है तो भी वह स्वयं, बालक के द्वारा या के लिए किये गए आवेदन पर प्रतिकर प्रदान करने का आदेश प्रदान कर सकता है।
इसके अतिरिक्त न्यायालय दंड प्रक्रिय संहिता,1873 की धारा 357(2 ), 357 (3 ) तथा पोक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 33 (8) के अंतगर्त बालक को हुई चोट या हानि के लिए राज्य सरकार द्वारा तय निधी से अथवा अन्य समकक्ष निधी से मुआवजा देने का आदेश प्रदान कर सकता है। उक्त राशि आदेश के 30 दिन की अवधी में देना अनिवार्य होता है तथा यह राशि बालक अथवा विश्वशनीय सरंक्षक को प्रदान की जा सकती है।
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बालकों से संबधित महत्वपूर्ण अधिनियम
भारत सरकार ने बालकों की सामाजिक, आर्थिक तथा शारीरिक सुरक्षा हेतु निम्न महत्वपूर्ण अधिनियमों को अधिनियमित किया गया है :-
- निःशुल्क और अनिवार्य बल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009
- किशोर न्याय (बालकों की देखरेख तथा सरंक्षण ) अधिनियम , 2005
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 1929 ,2006
- बालश्रम (निषेध एवं विनियमन ) अधिनियम, 1986
- बाल अधिकार सरंक्षण आयोग अधिनियम ,2005
संक्षेपतः
POCSOS ACT, 2012 अत्यंत महत्वपूर्ण अधिनियम है, जो बालकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है। साथ ही यह भी देखा गया है कि उक्त अधिनियम का दुरुपयोग भी हो रहा। है। उक्त अधिनियम में विशेष न्यायालय का प्रावधान होने के कारण तथा कैमरा ट्रायल होने की वजह से बालक के सम्मान भी बना रहता है। फिर भी सारांशतः देखा जाए तो यह 18 वर्ष से निम्न आयु वर्ग अर्थात अव्यस्क की व्यापक स्तर पर सुरक्षा करता है ।
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