पशुओं के प्रति क्रूरता के प्रति क़ानूनी प्रावधान 2022

पशुओं के प्रति क्रूरता के प्रति क़ानूनी प्रावधान  

दोस्तों, आजकल हम पशुओं के अवैध रूप से परिवहन तथा उनके प्रति क्रूरता की अनेकों घटनाऐं समाचार पत्रों आदि में पड़ते है, उक्त के संबंध में कानून की अनभिज्ञता कई बार निर्दोषो पर भी कई बार भारी पड़ जाती है, आखिर पशुओं का क्रय विक्रय करने में किन बातों का ध्यान रखे ?, पशु परिवहन से सम्बंधित क्या नियम हैं? साथ ही उक्त के संबंघ में कोन-कोन से अधिनियम हैं? पशुओं के प्रति क्रूरता के क़ानूनी प्रावधान तथा उनकी सजा क्या है? इसके अतिरिक्त विभिन्न राज्यों को किसी विशिष्ट पशु इत्यादि के सम्बन्ध में अन्य राज्यों से भिन्न क्या नियम है? उक्त की क़ानूनी व्याख्या भी करेंगे। 

 सेक्शन 151 , 107 /116 

विषयसामग्री 

  1.  पशुओं के प्रति क्रूरता क्या है ?
  2. पशु क्रूरता से संबधित अधिनियम
  3. पशु क्रूरता के अधीन सजा के प्रावधान   
  4. पशुओं के परिवहन के नियम
  5. पशुओं के पैदल परिवहन के नियम
  6. पशुओं के वहां से परिवहन के नियम 
  7. संक्षिप्त सार 

पशुओं के प्रति क्रूरता क्या है ?  

हमारे भारतीय सामाजिक ताने-बाने में पालतू पशुओं का अत्यधिक महत्व है। विशेषकर गाय,भैस,बकरी इत्यादि। इसके साथ ही कुत्ता, बिल्ली, बन्दर अन्य जंगली पशु भी हमारे धार्मिक एवं सामाजिक समाज में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। 

भारत के संविधान ने वन एवं वन्य जीवन के रक्षा को हमारा मूल कर्तव्य बताया है। 

पशु क्रूरता की परिभाषा : 

मनुष्य से भिन्न जीवित प्राणी को पशु माना गया है। पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 में पशु क्रूरता को स्पष्टतया परिभाषित किया गया है। पशुओं से अत्यधिक कार्य लेना या बोझा ढोना, भूखा रखना, पशुओं के परिवहन में ठसा-थस भरना,अमानवीय स्थिति में जंजीरों से जकड़ना, विभिन्न दवाइयों से पशु का स्वास्थ्य गिरना आदि को भी क्रूरता की श्रेणी में रखा गया है। सामान्य भाषा में किसी भी प्रकार से पशु से अमानवीय व्यवहार करना जैसे कि उसे पीटना, जलाना,जल पानी से वंचित करना या अन्य प्रकार से उसके जीवन की क्षति करना पशु क्रूरता की श्रेणी में आता है। 

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 पशु क्रूरता निवारण हेतु अधिनियम  

भारत सरकार ने निम्न विभिन्न प्रकार के अधिनियम पशु क्रूरता के निवारणार्थ अधिनियमित किये है :-

पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960  निम्न प्रकार से है :-

पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 हेतु निम्न  लिंक पर क्लिक करे :-

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वन्य जीव सरंक्षण अधिनियम, 1972 

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स्लाटर हाउस रूल्स , 2001 

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विभिन्न राज्यों के अन्य अधिनियम 

उक्त के अतिरिक्त विभिन्न पशुओं के सरंक्षण विशेषकर गायों के सरक्षण हेतु विभिन्न राज्यों ने विभिन्न अधिनियम पारित किये है, जिनमे कुछ निम्न प्रकार से हैं :-

राजस्थान गोवंशीय पशु (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रवजन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम, 1995 (संशोधन ) 2018 

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हरियाणा गो सरंक्षण एवं संवर्धन अधिनियम, 2015 

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EPF ACT रजिस्ट्रेशन, रिफंड तथा नियम

पशु क्रूरता हेतु विभिन्न अधिनियमों के अधीन सजा के प्रावधान  

शु क्रूरता करने हेतु विभिन्न अधिनियमों के अधीन निम्नानुसार सजा के प्रावधान किये गए है।  
भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 में वन एवं वन्य जीवों की रक्षा का मौलिक कर्तव्य बताया गया है। इन्ही के उद्देश्यों के अनुरूप विभिन्न अधिनियमों को अधिनियमित किया गया है। जिनमे वन्य जीवों के अतिरिक्त पालतू पशु-पक्षियों, सरीसृपों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है। विभिन्न अधिनियमों के अधीन पशु क्रूरता के प्रति निम्न प्रावधान किये गए है।:-

पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा के अधीन सजा : जो कोई विभिन्न प्रकार से पशुओ के प्रति क्रूरता हेतु जुर्माने तथा सजा का पावधान किया गया है। अधिनियम के सेक्शन 11 के अधीन विभिन्न प्रकार के क्रूरता के कृत्य करने हेतु विभिन्न सजाओं का प्रावधान किया गया है,जिनमे से कुछ संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में आती है, जिनके लिए अपराधी को गिरफ्तार किया जा सकता है तथा उसे नियमानुसार ही जमानत मिल सकती है। 

इस अधिनियम की धारा 12 के अनुसार पशुओं के अत्यधिक दुग्ध स्त्रवण हेतु ऐसी क्रिया जिससे पशु स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, को भी जुर्माने तथा कारावास से दण्डित करने का प्रावधान किया गया है।  

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भारतीय दंड संहिता के अधीन प्रावधान 

उक्त संहिता की धरा 428 तथा 429 पशु क्रूरता से संबधित है। धारा 428 भा.द.स. 1860 के अधीन जो कोई 10 रूपये के मूल्य तक के पशु का वध, विकलांग करने, विष देने या अनुपयोगी बनाने के दृष्टि से कोई कार्य करेगा उसे जुर्माने या 2 वर्ष तक की सजा या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। 

धरा 429 के अधीन 50 रूपये मूल्य से अधिक के पशु के वध करने, विष देने, विकलांग करने या अनुपयोगी बनाने की दृष्टि से कार्य करेगा उसे जुर्माने से अथवा 5 वर्ष तक के कारावास से अथवा दोनों से दण्डित किया जावेगा। यह धारा गाय, घोड़े, बेल, गधे आदि को नुकसान पहुंचने से सम्बंधित है। 

वन्य जीव सरंक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 16 विभिन्न वन्य जीवों जिनमे पशु पक्षी सरीसृप आदि सभी सम्मिलित हैं, को नुकसान पहुंचने के सम्बन्ध में 3 वर्ष से 7 वर्ष की सजा के साथ ही 25000 तक जुर्माने रहित या सहित सजा का प्रावधान किया गया है। 

राजस्थान गोवंशीय पशु (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रवजन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम, 1995 (संशोधन ) 2018 की धारा 5 तथा 8 के अनुसार गायों की अवैध रूप से तस्करी हेतु 7 वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है  तथा उक्त अधिनियम में इस प्रकार की तस्करी होने पर वाहन मालिक को भी दायी ठहराये जाने का प्रावधान किया गया है। 

पशुओं के परिवहन के नियम   

विभिन्न प्रकार के पशुओ को विशेषकर पालतू पशु जैसे की गाय, भैंस, ऊंट, भेड़ आदि को विभिन्न प्रकार की आवश्यकता अथवा क्रय-विक्रय हेतु परिवहन किया जाता है।  उक्त प्ररिवहन में पशुओं के प्रति किसी प्रकार की क्रूरता न हो, इस हेतु केंद्र सरकार ने अधिनियमित पारित किया है तथा साथ ही मोटर यान अधिनियम में भी इससे सम्बंधित प्रावधान संशोधन के माध्यम से शामिल किये हैं। जिसमे विभिन्न प्रकार के पशुओं के परिवहन में उपयुक्त स्थान को निर्धारित भी किया गया है।  

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पशुओं का पैदल परिवहन हेतु नियम 

भारत सरकार ने पशुओं के पैदल परिवहन में पशुओं के प्रति किसी प्रकार की क्रूरता ना हो इस हेतु निम्न अधिनियम पारित किया है उक्त अधिनियम के नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो यह पशुओं के प्रति क्रूरता की श्रेणी में आयेगा और अधिनियम के प्रावधानों की अनुसार दण्डित किया जावेगा 
पशुओं के प्रति क्रूरता (पशुओं के पैदल परिवहन) नियम, 2001 
 पशुओं के प्रति क्रूरता (पशुओं के पैदल परिवहन) नियम, 2001 पीडीऍफ़ डाउनलोड 


पशुओं के वाहन से परिवहन हेतु नियम 

मोटर यान अधिनियम (MOTOR VEHICLE ACT) में भी संशोधन कर कुछ पशु परिवहन नियमावली बनायीं गई है, जिनका पालन करना आवश्यक है इसके अतरिक्त वाहन हेतु परिवहन हेतु निम्न अधिनियम पारित किया गया है। 

पशुओं के परिवहन नियम, 1978

 

पशुओं के परिवहन नियम, 1978 पीडीऍफ़ डाउनलोड 

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In Shorts 

शु-पक्षी भारतीय समाज के अंश माने गए है।  इसी के अनुपालन में भारत के संविधान में भी उक्त को शामिल किया गया है।  जीव मात्र के प्रति दयाभाव हमारी संस्कृति का हिस्सा रहें है। इसी के अनुरूप पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 पारित किया गया है, जिसमे सभी प्रकार की क्रूरताओं का स्पष्टतः वर्णन किया गया है।  तथा इसमें सजा के प्रावधान किये गए है। पशु तस्करी रोकने हेतु भी विभिन्न अधिनियमों के अंतरगर्त सख्त प्रावधान किये गए है।  इसकी के साथ विभिन्न प्रकार की संस्थाएं, एनजीओ आदि भी इस दिशा में कार्य कर रही है। 


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