मोटर व्हीकल एक्सीडेंट क्लेम कैसे करें ?

मोटर व्हीकल एक्सीडेंट क्लेम कैसे करें ?

दोस्तों, हम सभी का दुर्घटना से वास्ता कभी न कभी पड़ा ही होगा। इसके साथ ही हमें अक्सर दुर्घटना दावा ( Accident  Claim ) का नाम भी सुना होगा।  हमारे मन में कई सवाल खड़े होते है, जैसे कि  वाहन दुर्घटना दावा( Vehicle Accident Claim) क्या होता है और दुर्घटना दावे को कैसे क्लेम किया जाता है ?  दुर्घटना होने के पश्चात या कोर्ट में एक्सीडेंट क्लेम करने के पश्चात क्या सावधानिया बरतनी चाहिए।  इन्ही बिंदुओं  के बारे में विस्तृत विवेचना इस  पोस्ट में करेंगे। 


विषय सामग्री 


दुर्घटना दावा ( Accident Claim in India) क्या है?

जब भी किसी भी प्रकार से किसी वाहन से  दुर्घटना होती है तथा तो उस दुर्घटना के विरुद्ध दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को मुआवजा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।  यह मुआवजा राशि ( motor accident claim ) विशेष न्यायालय या ट्रिब्यूनल द्वारा तय की जाती है। यह कई कारकों पर निर्भर करती है। जैसे कि  दुर्घटनाग्रस्त  व्यक्ति की उम्र, कार्य, दुर्घटना के परिणामस्वरूप हुई स्थाई विकृति की प्रतिशतता एवं आश्रितों की संख्या आदि। न्यायालय द्वारा उक्त दावा राशि ( accident claim amount ) प्राप्त करने हेतु  ट्रिब्यूनल ( accident claim tribunal) में फाइल किये गए दावे या याचिका को ही दुर्घटना दावा ( accident claim case )  के  नाम से जाना जाता है। भारत में दुर्घटना दावा ( accident claim in india ) करने हेतु  दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को मुवावजे का प्रावधान मोटर यान अधिनियम, 1988 ( The Motor Vehicle Act, 1988 ) में उपबंधित किये गए हैं। 

मोटर यान अधिनियम(The Motor Vehicle Act)क्या है?

किसी प्रकार की दुर्घटना चाहे वह किसी भी प्रकार का वाहन हो, जैसे कि बाइक, कार, ट्रक इत्यादि हो, किसी अन्य पैदल चलने वाले व्यक्ति या किसी वाहन से जा रहे व्यक्ति के साथ हो, दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को प्रतिकर या क्षतिपूर्ति के प्रावधान मोटर व्हीकल एक्ट में किये गया है।  मोटर व्हीकल एक्ट में विभिन्न प्रकार के प्रावधान किए गए हैं जिनमें लापरवाही पूर्वक गाड़ी चलाने एवं अन्य अपराध होने के पश्चात जुर्माने के प्रावधान इत्यादि किये गये हैं।   समस्त प्रकार के मोटर एक्सीडेंट क्लेम उक्त एमवी एक्ट (motor vehicle act, 1988) के अनुसार प्रदान किये जाते हैं।  भारत में वाहनों से सम्बंधित विधियों को अधिनियमित किया गया है, जिसे मोटर वाहन अधिनियम,   (The Motor Vehicle Act, 1988 )  MV ACT, 1988 के नाम से जाना जाता है। इसमें वाहनों से सम्बंधित समस्त प्रावधान को अधिनियमित किया गया है, जिसमे एक्सीडेंट क्लेम के सम्बन्ध में भी बताया गया है। उक्त अधिनियम के अनुसार कार्य करने हेतु विशेष ट्रिब्यूनल मोटर व्हीकल क्लेम ट्रिब्यूनल स्थापित किये गए हैं।  इस अधिनियम के अनुसार  उक्त दावों में  त्रुटि बिना दायित्व ( Liability Without Fault ) के सिद्धांत पर कार्य करती है।  अर्थात उक्त दावों के निर्धारण में यह नहीं देखा जाता है कि किसकी गलती से दुर्घटना गठित हुई है।  इसी अधिनियमों के प्रावधानों के अनुसार सम्बंधित व्यक्ति या बीमा कंपनी के दायित्व का निर्धारण किया जाता है। बीमा कंपनियां प्रीमियम या बीमा पालिसी के एवज में अपने पालिसी धारक को वित्तीय जोखिम के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है। 

The Motor Vehicle Act, 1988 निम्नानुसार है :-

मोटर यान अधिनियम , 1998 को डाउनलोड करने हेतु निम्न लिंक को क्लिक करें :-


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वाहन बीमा(Vehicle Insurance)क्या है ?

वाहन बीमा एक प्रकार का क्षतिपूर्ति बांड होता है, जिसमे बीमा कम्पनियाँ  प्रीमियम के एवज में दुर्घटना, चोरी, किसी प्रकार की क्षति इत्यादि की स्थिति में  बीमाधारक के प्रति उत्पन्न होने वाले  दायित्व को स्वयं वहन  करती है अर्थात उन्हें दुर्घटना की  स्थिति में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है।  विभिन्न प्रकार की कंपनियां इस प्रकार की सेवा प्रदान करती है। यह सामान्यतः दो प्रकार का होता है :-
  • तृतीय पक्ष बीमा  ( Third Party Insurance ) :  इसमें बीमा कंपनी का दायित्व तीसरे किसी पक्ष को हुए किसी नुकसान तक सिमित रहता है। 
  • सम्पूर्ण बीमा या व्यापक बीमा ( Comprehensive Insurance ): इसमें बीमा कंपनी का दायित्व विस्तृत होता है। 
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निशक्तता या डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट क्या होता है ?

किसी दुर्घटना होने के पश्चात जब न्यायालय  में दुर्घटना दावा ( Accident  Claim )  पेश  किया जाता है  तो प्रारंभिक तोर पर अंतरिम सहायता प्रदान करने के  पश्चात निशक्तता  प्रमाण पत्र ( Disability Certificate ) / स्थायी निशक्तता  प्रमाणपत्र (  Permanent Disability Certificate ) माँगा जाता है, जिसके आधार पर भी दुर्घटना दावा राशि के निर्धारण में सहायता मिलती है। दुर्घटना होने के छह माह पश्चात व्यक्ति को सरकारी मेडिकल बोर्ड के पास जाना होता है जो उस व्यक्ति के जाँच कर यह निर्धारित करता है  कि उसके कौनसे शरीर के हिस्से में  कितनी  विकृति आई है, यहाँ निर्धारण प्रतिशत में किया जाता है।  मेडिकल जूरिस्ट द्वारा दुर्घनाग्रस्त व्यक्ति को दिया गया उक्त के सम्बन्ध में प्रमाणपत्र को डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट के नाम से जाना जाता है। 

वाहन दुर्घटना दावा के प्रकार 

सामान्यतः वाहन दुर्घटना दावे ( vehicle accident claim ) को दो भागों में बांटा जा सकता है।  हालाँकि क़ानूनी दृष्टिकोण से दोनों में कोई अंतर नहीं होता है। car accident insurance claim, bike accident insurance claim, truck , accident insurance claim में किसी भी प्रकार का कोई अंतर नहीं होता है। सभी की प्रक्रिया समान है।
  • सामान्य वाहन दुर्घटना दावा (motor accident claim): यह दावा किसी भी प्रकार की स्थायी क्षति या दुर्घटना के फलस्वरूप अन्य क्षति हेतु किया जाता है।  भारत में मोटर यान दुर्घटना दावा ( motor vehicle accident  claim in india ) में  MACT अंतरिम सहायता ( MACT  INTERIM  ORDER )  के तोर पर 25000 रूपये  प्रदान करता है। 
  • वाहन दुर्घटना मृत्यु दावा : यह दावा दुर्घटना के फलस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु की स्थिति में किया जाता है। भारत में मोटर यान दुर्घटना मृत्यु दावा (  motor vehicle accident death claim in india) में  MACT अंतरिम सहायता ( MACT  INTERIM  ORDER )  के तोर पर 50000 रूपये  प्रदान करता है। 
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वाहन दुर्घटना दावा कहां किया जा सकता है ?

MV ACT प्रत्येक क्षेत्र के अनुसार विशेष प्रकार के न्यायधिकरण की स्थापना की गई है जो कि मोटर व्हीकल एक्सीडेंट क्लेम के सम्बन्ध में क्षेत्राधिकार रखते है। इन्हे वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ( motor accident claim tribunal   / MACT  ) के नाम से जाना जाता है।  MACT CASES को उक्त ट्रिब्यूनल में पेटिशन फाइल करके किया जाता है। 
यदि किसी प्रकार की दुर्घटना किसी व्यक्ति की अपने कार्य के निष्पादन के समय ऑन ड्यूटी होती है तो वाहन से दुर्घटना होने पर भी श्रमिक न्यायालय में भी श्रमिक अधिनियम के तहत दुर्घटना दावा किया जा सकता है। 

एक्सीडेंट क्लेम के पक्षकार 

वाहन दुर्घटना होने की स्थिति में यदि दुर्घटना करने वाले पक्ष ने वाहन का बीमा ( Vehicle Insurance ) करवा रखा है तो दावे में सम्बंधित वाहन बीमा कंपनी को भी पक्षकार  बनाया जाता है।  इस प्रकार किसी भी दुर्घटना के दावे में  उक्त वाहन के स्वामी तथा वाहन बीमा कंपनी को पक्षकार बनाया जाता है। दुर्घटना दावा क्लेम सेंक्शन  हो जाने के पश्चात सम्बंधित बीमा कंपनी का दायित्व उस क्लेम के प्रति होता है। यह वाहन स्वामी की ओर से दुर्घटना दावा राशि प्रदान करती है। 
यह ध्यान देने योग्य यह बात है कि  यदि वाहन का बीमा नहीं है तो सम्बंधित वाहन का स्वामी ही उक्त दुर्घटना दावा राशि प्रदान करने के  दायित्वाधीन होता है।  इसलिए सभी व्यक्तियों को जो वाहन स्वामी हैं, वाहन बीमा अवश्य करवा लेना चाहिए। 

मोटर व्हीकल एक्सीडेंट क्लेम  निर्धारण 

मोटर यान दुर्घटना दावा का निर्धारण करते वक्त विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है जैसे कि स्थायी अपंगता का प्रतिशत, आयु, कार्य, आश्रित  इत्यादि। इसके अतरिक्त  दुर्घटना में हुआ खर्च के साथ ही उक्त दुर्घटना की स्थिति में लाभ एवं हानि को भी ध्यान में रखा जाता है तथा जीवन प्रत्याशा को भी ध्यान में रखा जाता है। 

मोटर व्हीकल एक्सीडेंट क्लेम  दस्तावेज 

सामान्यतः किसी भी मोटर यान बीमा दावा ( motor vehicle insurance claim) फ़ाइल करने हेतु निम्न दस्तावेज की आवश्यकता होती है :-
  • दुर्घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट ( Accident  FIR )
  • दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की फोटो एवं फोटो आई डी 
  • यदि स्वयं वाहन चला रहे हों तो स्वयं का ड्राइविंग लाइसेंस 
  • वाहन के दस्तावेज 
  • वाहन का बीमा पालिसी इत्यादि 
  • इलाज के सभी दस्तावेज 
  • निशक्तता प्रमाणपत्र 
  • मृत्यु की स्थिति में पोस्टमार्टम रिपोर्ट 

मोटर व्हीकल एक्सीडेंट क्लेम प्रक्रिया /  how to file a motor vehicle accident claim

मोटर व्हीकल एक्सीडेंट क्लेम क़ानूनी प्रक्रिया के द्वारा प्राप्त होता है।  अतः आपको एक योग्य अधिवक्ता की आवश्यकता होगी, जो अपनी फीस निर्धारित कर उक्त प्रक्रिया को सुचारु रूप से निष्पादित करेगा। प्रायः एक्सीडेंट क्लेम केसेस एडवोकेट फीस के रूप में   फाइनल क्लेम की राशि का 5 से 10 प्रतिशत तक वसूल करते है। और प्रायः यह भी देखा गया है कि प्रारम्भ में वे किसी भी प्रकार की कोई फीस चार्ज नहीं करते है।  दुर्घटना होने के तुरंत पश्चात प्रथम सूचना रिपोर्ट दुर्घटना वाले स्थान पर क्षेत्राधिकार रखने वाले पुलिस थाने में दर्ज करवाए। सम्बंधित इलाज के समस्त दस्तावेज सुरक्षित रखे।  दुर्घटना दावा तुरंत या बाद में लिमिटेशन के अवधी में किया जा सकता है।  अधिवक्ता के माध्यम से सम्बंधित क्षेत्राधिकार रखने वाले मोटर व्हीकल क्लेम ट्रिब्यूनल में क्लेम फ़ाइल करे।  यदि किसी पक्षकार की मृत्यु हो चुकी है तो विधिक उत्तराधिकारियों के माध्यम से एक्सीडेंट क्लेम केस फ़ाइल करे। प्रारम्भ में अंतरिम प्रतिकर प्रदान किया जाता है तथा तत्पश्चात अंतिम प्रतिकर प्रदान किया जाता है।  डेथ  क्लेम में प्रायः कुछ राशि की उसके आश्रितों के नाम से एफडीआर आदि के रूप में जमा करने के आदेश भी प्रदान किये जाते है। 

एक्सीडेंट क्लेम केस स्टेटस कैसे जाने ? 

सम्पूर्ण भारत में motor accident claim tribunal case status को ऑनलाइन जाना जा सकता है तथा पारित किये गए आदेश को डाउनलोड भी किया जा सकता  है। समस्त जिला न्यायालयों में motor accident claims tribunal case status की जानकारी प्रदान करने हेतु आधिकारिक वेबसाइट निम्न प्रकार से है :-    https://districts.ecourts.gov.in/
  • एक्सीडेंट क्लेम केस स्टेटस  हेतु निम्न लिंक पर क्लिक करें :-
  • सर्वप्रथम राज्य को क्लीक करे। 
  • राज्य के पश्चात जिला को क्लिक करे । 
  • जिला न्यायालय की उक्त वेबसाइट पर केस स्टेटस को क्लीक करे । 
  • केस स्टेटस को केस टाइप, अधिवक्ता के नाम या केस नंबर या FIR नंबर से सर्च किया जा सकता है।  केस टाइप से सर्च करने हेतु  MACT  CASES  का चयन करें। 

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