बटवारनामा या विभाजन विलेख का संपादन, पीडीऍफ़ तथा कानून की जानकारी

विभाजन विलेख 2021 कैसे सम्पादित करें ?

सम्पति का  बटवारा या विभाजन हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा है।  सभी व्यक्तियों को सम्पति के बटवारे की कभी न कभी जरुरत होती है। आज हम बटवारे या विभाजन के सन्दर्भ में बात करेंगे ।

बटवारनामा 2021

विषय सामग्री 

  1. विभाजन या बटवारा क्या होता है ?
  2. बटवारा कैसे किया जाता है  ?
  3. सम्पति के आधार पर बटवारा कैसे किया जाता है? 
  4. बटवारनामा  विलेख (Partition Deed)
  5. विभाजन हेतु आवश्यक दस्तावेज
  6. विभाजन विलेख का पंजीकरण प्रक्रिया 
  7. बटवारे से संबधित महत्वपूर्ण पीडीऍफ़ डाउनलोड 

विभाजन या बटवारा क्या होता है ?

बटवारा या विभाजन क्या है ? सम्पति को उसके अंशधारियों अर्थात उसमे किसी भी प्रकार से स्वामित्व रखने वाले व्यक्तियों में उनके अंश के अनुसार विभक्त करना ही बटवारा या विभाजन कहलाता है।  अर्थात यह एक  प्रकार का करार होता है  जिसमे सभी व्यक्ति अपने अंश के अनुसार  अंश को चिन्हित कर अन्य व्यक्तियों से अपना अंश पृथक कर लेते है। इसी प्रकार अन्य अंशधारियों के भी अंश को चिन्हित कर लिया जाता है  और सभी व्यक्ति अन्य व्यक्ति हेतु चिन्हित अंश में अपने सभी अधिकारों के त्याग की घोषणा करते है और अपनी सम्पति को अधिकार में लेते है तथा उस विशिष्ट व्यक्ति की सम्पति आंत्यतिक रूप से उस विशिष्ठ व्यक्ति की हो जाती है। उक्त सम्पति के सम्बन्ध में वह चाहे जो कर सकता है । 

बटवारा कैसे किया जाता है  ?

बटवारा विभिन्न धर्मो के वैयक्तिक विधि से प्रभावित होता है  अर्थात विभिन्न धर्मों के बटवारे के नियम विभिन्न होते है क्योकि इस सम्बन्ध में उन पर व्यक्तिगत विधि लागु होती है।   सामान्यत निम्न प्रकार से बटवारा किया जाता है :-

पारस्परिक सहमति से

जब हिन्दू अविभक्त परिवार मे पारस्परिक सहमति से बटवारा सम्पादित किया जाता है तो यह एक प्रकार का पारिवारिक बंदोबस्त होता है, जिसमे सभी सदस्य अपनी सहमति प्रदान करते है ।  उक्त विभाजन करार( Devidation Agreement )  को स्टाम्प पेपर पर लिखकर सभी सदस्यों के हस्ताक्षर तथा गवाहों के हस्ताक्षर करवाकर उक्त स्टाम्प पेपर को नोटरी पब्लिक से नोटराइज करवा लिया जाता है तथा उक्त के आधार पर तहसील या रजिस्ट्रार ऑफिस में भी उक्त बटवारे की लेख को पंजीकृत करवा लिया जाता है । 

वाद दायर करके-

 जब एक हिन्दू अविभक्त परिवार में किसी सदस्य द्वारा बटवारे की मांग की जाती है किन्तु परिवार के अन्य सदस्य उक्त बटवारे को करने हेतु सहमत नहीं होते है तो बटवारा करने हेतु सिविल न्यायालय में वाद दायर कर उक्त विभाजन का निर्णय प्राप्त किया जाता है।  चूँकि विभाजन सम्पति से संबधित होता है, इसलिए सम्पति से संबधित अधिनियम एवं धाराएं विभाजन हेतु वाद को प्रभावित करती है।  विभाजन को प्रभावित करने वाले अधिनियम निम्न हो सकते है जैसे -भारतीय विभाजन अधिनियम,हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, सम्पति अंतरण अधिनियम , भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम ,  राजस्व अधिनियम , सुखाधिकार अधिनियम आदि। 

किसी वाद के द्वारा विभाजन समय लेने वाली प्रक्रिया होती है जब कभी विभाजन हेतु सहमति नहीं बन पति है तो भारतीय विभाजन अधिनियम में विभाजित की जाने वाली सम्पति को बेचकर सभी व्यक्तियों के अंश के अनुसार रूपये को विभाजित करके देने का भी प्रावधान है ।  


विभाजन की जाने वाली सम्पति के आधार पर बटवारा कैसे किया जाता है? 

  • पुस्तैनी सम्पति में बटवारा 
पुस्तैनी सम्पति से तात्पर्य ऊपरी पीडियों से उत्तराधिकार में प्राप्त होने वाली सम्पति से है । हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार एक हिन्दू अविभक्त परिवार मे जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति जन्म के साथ ही सम्पति मे अधिकार लेकर जन्म लेता है और वह कभी भी पुस्तैनी सम्पति में अपने अंश की मांग कर सकता है।  यदि सहमति से उक्त विभाजन नहीं होता है तो वाद दायर कर अपने अंश को प्राप्त कर सकता है।  
सन 2005 से हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन कर एक स्त्री को भी पितृ पक्ष सम्पति में पुरुष के बराबर अधिकार दिए गए है।  विभाजन में उन्हें भी अंश प्राप्त होगा किन्तु वह अधिकारपूर्वक विभाजन करने की मांग नहीं कर सकती है । 
  • स्वार्जित सम्पति में बटवारा 
एक स्वार्जित सम्पति में कोई भी व्यक्ति अंश की मांग नहीं कर सकता न ही विभाजन का दावा कर सकता है।  स्वार्जित  सम्पति से तात्पर्य उस सम्पति से है, जो किसी व्यक्ति ने स्वयं उपार्जित की है, ना की अपने पुस्तैनी उत्तराधिकार में  प्राप्त हुई है । स्वार्जित  सम्पति में एक पिता या माता  पूर्ण स्वामी होते  है , उसके पुत्र-पुत्रियां उक्त सम्पति में विभाजन का दावा नहीं कर सकती है । उक्त सम्पति का वह स्वेच्छा से कुछ भी कर सकते है । 
  • कृषि भूमि में बटवारा 
कृषि भूमि में बटवारा हेतु तहसीलदार ऑफिस में सहमति से तकासमे  या विभाजन हेतु  आवेदन किया जा सकता है या दावा कर विभाजन करवाया जा सकता है।   यदि पारस्परिक सहमति से कृषि भूमि का विभाजन किया जाता है तो सभी सामूहिक कास्तकारों द्वारा सयुंक्त रूप से आवेदन किया जाता है जिसमे निम्न दस्तावेज की प्रति लगाई जाती है 
  • आवेदन पत्र 
  • जमाबंदी 
  • गिरदावरी 
  • ट्रेस नक्शा 
  • पटवारी तथा गिरदावर की रिपोर्ट 
सभी के सयुंक्त हस्ताक्षरों के साथ साथ गवाहों के हस्ताक्षर करवाकर तहसील में पेश किया जाता है।  जिस पर तहसीलदार द्वारा परस्पर सहमति की जाँच करते हुए उक्त आवेदन को स्वीकार किया जाता है एवं प्रत्येक कास्तकार के अंश को पृथक एवं नवीन खसरा नंबर अलॉट किया जाता है । 

यदि कृषि भूमि में विभाजन में पारस्परिक सहमति नहीं बन पाती है तो उक्त हेतु राजस्व न्यालय में दावा दायर करना होता है।  उक्त दावे में सभी कास्तकारों के अंश विभाजित कर पृथक एवं नवीन कहसरा नंबर प्रदान किये जाते है।  कृषि सम्पति को राजस्व कानून प्रभावित करते है ।  
  • रिहायसी घर में बटवारा 
समस्त सुखाधिकारों के नियमों को ध्यान हुए सिविल न्यायलय में वाद करके या पारस्पतिक सहमति से विभाजन करवाया जा सकता है, जिसमे सभी के हस्ताक्षरों से युक्त बिभाजन विलेख तैयार कर नोटराइज या रजिस्ट्रार ऑफिस में पंजीकृत करवा लिया जाता है।  
  • सहसाझेदारों में बटवारा 
एक सम्पति में सह साझेदार भी अपनी सम्पति में आपस में बटवारा तय कर सकते है या विभाजन हेतु वाद  दायर कर सकते है उक्त विभाजन भी पारस्परिक सहमति या सिविल वाद दायर कर प्राप्त किया जा सकता है । 
  • सम्पति का वसीयत द्वारा बटवारा 

कोई व्यक्ति अपनी सम्पति के सम्बद्ध में वसीयत तैयार कर सकता है, उक्त व्यक्ति की मृत्यु पश्चात न्यालय द्वारा उक्त वसीयत के अनुसार उनका सम्पति में विभाजन तय किया जाता है न्यायलय उक्त हेतु आदेश  जारी करता है ।

  बटवारना मा  विलेख (Partition Deed)

सम्पति के बटवारे के लिखित तथा हस्ताक्षरित विलेख अथवा दस्तावेज को बटवारनामा / विभाजन विलेख ( Partition Deed ) के नाम से जाना जाता है । उक्त बटवारेनामे मे सभी सह अंशधारी चाहे उनका हिस्सा कितना भी हो, उनके हिस्से के अनुसार विभाजित कर लिखित करार कर लिया जाता है एवं उक्त को स्टाम्प पेपर पर  विभाजन विलेख ड्राफ्ट ( partition deed draft) लिखकर  उसे नोटराइज या रजिस्टर्ड करवा लिया जाता है उक्त डीड के अनुसार भौतिक रूप से भी अंशो का बटवारा निष्पादित कर लिया जाता है।  

विभाजन हेतु आवश्यक दस्तावेज  (documents required for partition deed / partition deed document)

सम्पति के बटवारेनामे को निष्पादित करने हेतु निम्न दस्तावेज की आवश्यकता होती है 

  • बटवारा किये जाने वाली सम्पति के दस्तावेज 
  • समस्त अंशधारियों की के आधार नंबर तथा एड्रेस प्रूफ 
  • दो गवाहों के आधार नंबर तथा एड्रेस प्रूफ 
  • बटवारे के आधार से संबधित दस्तावेज जैसे की वसीयत, 
  • मृत व्यक्तियों के मर्त्यु प्रमाणपत्र 

विभाजन विलेख का पंजीकरण प्रक्रिया 

जब विभाजन विलेख एक उचित मूल्य के स्टाम्प पेपर पर तैयार किया जाता है तो उस स्थिति में जब सभी पक्षकार परस्पर विभाजन करने हेतु सहमत होते हैं तो साधारण स्टांप पेपर पर उक्त डीड लिखना पर्याप्त होता है।  राजस्थान में विभाजन विलेख को  यदि रजिस्ट्रार विभाग में पंजीकरण करवाना चाहें तो करवाया जा सकता है  उक्त हेतु विभाजन विलेख स्टाम्प ड्यूटी (partition deed stamp duty) पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग की epanjiyan वेबसाइट पर लिस्ट उपलब्ध है।उक्त डीड  हेतु साधारण दस्तावेजों के रजिस्ट्रीकरण से संबंधित प्रक्रिया ही  लागू होती है

बटवारे से संबधित महत्वपूर्ण लिंक व पीडीऍफ़ डाउनलोड 

टवारनामा फॉर्मेट इन हिंदी,partition deed format,    

बटवारा नामा फॉर्मेट पीडीऍफ़ partition deed pdf

 दोस्तों, उक्त विषय अत्यंत विस्तृत विषय है, उक्त के सम्बन्ध में संक्षेप में प्रदान की गई है । आशा है उक्त जानकारी आपको पसंद होगी कृपया factspp ब्लॉग को फॉलो करे  




 








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