गोद लेने के क़ानूनी नियम,प्रक्रिया तथा गोदनामा फॉर्मेट पीडीऍफ़

दोस्तों, आजकल देखा गया है कि फलां अभिनेत्री ने बच्चों को गोद लिया है, फलां अभिनेता ने किसी बच्चे को गोद लिया है। अक्सर हम ये भी देखते है कि जिस दम्पति के कोई बच्चा नहीं होता है, वह किसी रिश्तेदार के बच्चों में से एक को गोद ले लेता है या किसी अनाथलय से किसी बच्चे या बच्ची को गोद ले लेते है। जिसे गोदनामा के नाम से भी जाना जाता है। आजकल यह भी देखा गया है कि किसी विदेशी दम्पति द्वारा भी किसी अनाथालय से किसी बच्चे या बच्ची को गोद लिया जाता है। विभिन्न बॉलीवुड अभिनेता या अभिनेत्री जैसे कि सुष्मिता सेन ने अविवाहित होने के बावजूद बच्चों को गोद लिया है।   

ADOPTION LAW IN INDIA

आज हम जानेंगे कि गोद लेने की प्रक्रिया ( process of adoption in india ) क्या है ? कोन व्यक्ति गोद ले सकता है ? किन बच्चों को गोद लिया जा सकता है। गोद लेने की क़ानूनी प्रक्रिया (Legal Process of  Adoption)  क्या है ? गोद लेने हेतु किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है ? क्या किसी विदेशी को कोई बच्चा गोद दिया जा सकता है (how to adopt indian child by foreign)  या किसी विदेशी बच्चे को गोद लिया जा सकता है? क्या अन्य धर्म के बच्चे को गोद लिया जा सकता है ? यदि हाँ, तो कोनसी प्रक्रिया के अनुसार और कोनसे अधिनियम ( adoption act) है। process of adoption in india क्या है ?

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 गोद लेने हेतु हिन्दू, मुस्लिम या  पारसी व्यक्तिगत विधि में भिन्नता 

गोद या दत्तकग्रहण व्यक्तिगत विधि का भाग है। इसलिए इस सम्बन्ध में विभिन्न धर्मों के व्यक्तियों  हेतु अलग अलग कानून है। हिन्दू लॉ के अनुसार व्यक्ति बालक को गोद ले सकता है, इस हेतु हिन्दू दत्तकग्रहण एवं भरण पोषण अधिनियम, 1956 हिन्दू दत्तक अधिनियम (hindu adoption act) बना हुआ है। साथ ही सरंक्षक एवं सरन्क्षत्या अधिनियम के भी प्रावधान लागु होते है किन्तु मुस्लिम विधि में गोद जैसे किसी प्रावधान को स्वीकार नहीं करती केवल गार्जियन एवं वार्डस एक्ट में किसी बालक की गार्जियनशिप ही प्राप्त की जा सकती है, जो कि वयस्क होने पर समाप्त हो जाती है जबकि हिन्दू विधि के अनुसार दत्तक बालक के अधिकार एवं कर्तव्य स्वयं के बालक के समान ही होते हैं। एक बार गोद लेने के पश्चात इसे नकारा नहीं जा सकता है। 

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 2. हिन्दू धर्म में दत्तक लेने की शर्तें एवं सम्पूर्ण प्रक्रिया 

गोद लेने हेतु हिन्दू, . गोद कोन ले सकता है ?

कोई भी हिन्दू व्यक्ति किसी लड़के या लड़की को गोद ले सकता है यदि वह निम्न शर्तें पूरी करता हो :-

  • सर्वप्रथम गोद लेने हेतु शर्त है कि गोद लेने वाले स्त्री या पुरुष स्वस्थचित्त, व्यस्क हो तथा दत्तक लेने हेतु सामर्थ्य रखता हो। 
  • यदि विवाहित पुरुष या विवाहित स्त्री दत्तक लेती है तो उसे अपने पति या पत्नी की सहमति लेनी आवश्यक है। यदि पति या पत्नी की मृत्यु हो चुकी है या वे सन्यासी आदि बनकर संसार का परित्याग कर चुके हैं या विधिक तोर पर विकृतचित घोषित हो चुके हैं तो उक्त सहमति की आवश्यकता नहीं होती है। 
  • यदि लड़के का दत्तक ग्रहण करना है तो दत्तकग्रहण करने वाले माता पिता के पहले सी ही जीवित पुत्र या पुत्र का पुत्र  नहीं होना चाहिए 
  • इसी प्रकार यदि लड़की का दत्तक ग्रहण करना है तो दत्तकग्रहण करने वाले माता पिता के पहले सी ही जीवित पुत्री  या पुत्र की पुत्री नहीं होनी चाहिए।  
  • age difference for adoption in india - यदि किसी स्त्री के द्वारा लड़का दत्तक में लिया जाता है तो उसकी उम्र में दत्तक से कम से कम 21 वर्ष अधिक होनी चाहिए।  इसके साथ ही यदि किसी पुरुष के द्वारा लड़की को दत्तक लिया जाता है तो भी दत्तकगृहिता पिता दत्तक पुत्र से 21 वर्ष बड़ा होना आवश्यक है। कहने का मतलब है 
  • इसके अतरिक्त दो व्यक्तियों द्वारा एक ही बालक गोद नहीं लिया जा सकता है।  बालक वास्तव रूप में गोद लिया एवं दिया जाना आवश्यक है अर्थात बालक को दत्तकगृहिता को सपना आवश्यक है किन्तु दत्तक होम करने जैसे सामाजिक कर्मकांड करने अनिवार्य नहीं है। एक हिन्दू द्वारा हिन्दू बालक को ही गोद लिया जा सकता है। 
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गोद किसे लिया जा सकता है ? 

कानून के अनुसार ही बालकों को गोद लिया जा सकता है। बालकों को अडॉप्ट करने हेतु बालकों में निम्न पात्रता का होना आवश्यक है :-

  • एक हिन्दू द्वारा हिन्दू बालक को हो दत्तक लिया जा सकता है। 
  • पूर्व में दत्तक में नहीं लिया गया हो 
  • प्रथागत अपवादों को छोड़कर विवाहित बालक को दत्तक नहीं लिया जा सकता है तथा इसी प्रकार से प्रथागत अपवादों को छोड़कर 15 वर्ष से अधिक उम्र के बालक को गोद नहीं लिया जा सकता है किन्तु यदि समाज में इस प्रकार की प्रथायें एवं रूढ़ियाँ है जिनमे विवाहित या 15 वर्ष से अधिक उम्र के बालक को गोद लिया जाता यह तो यह अपवाद में शामिल किया गया है 
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गोद कोन दे सकता  है ? 

हिन्दू दत्तकग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के अनुसार निम्न व्यक्ति ही किसी बालक को दत्तक में देने हेतु सक्षम होते हैं :-

  • दत्तक केवल पिता, माता या सरंक्षक के अतिरिक्त अन्य किसी के द्वारा नहीं दिया जा सकता है। माता एवं पिता दोनों को समान रूप से दत्तक देने का अधिकार है किन्तु पति या पत्नी के जीवित रहने पर उनकी सहमति अत्यावश्यक है। किन्तु उक्त के अपवादवरूप सन्यास लेने, संसार परित्याग करने या विकृत चित घोषित होने की अवस्था में उक्त सहमति आवश्यक नहीं है। 
  • इसके अतिरिक्त माता पिता के मृत्यु, सन्यास लेने या विकृतचित घोषित होने की स्थिति में सरंक्षक न्यायालय की पूर्व अनुज्ञा से दत्तक दे सकता है। 

दत्तकग्रहण का पंजीकरण / registration of adoption hindu law

हिन्दू धर्म में  दत्तकग्रहण प्रथागत अपवाद में नहीं है तो पंजीकरण करवा लेना ही हितकर होता है यह प्रक्रिया एक गोदनामा विलेख के माध्यम से सम्पादित होती है। उक्त विलेख पंजीकरण अधिनियम के अनुसार एक सामान्य दस्तावेज की तरह पंजीकृत होता है 

गोदनामा वर्ड फॉर्मेट हिंदी  godnama word format download

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गोदनामा पीडीऍफ़ फॉर्मेट हिंदी godnaama  in hindi pdf download 

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 2. अन्य धर्म में दत्तक लेने की शर्तें एवं सम्पूर्ण प्रक्रिया 

संस्थान के माध्यम से दत्तक ग्रहण 

हिन्दू धर्म में दत्तक ग्रहण केवल हिन्दू दत्तकग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की शर्तों के अनुसार ही हो सकता है किन्तु उक्त सिमित प्रावधानों के चलते बालकों का दत्तकग्रहण संभव नहीं है।  साथ ही विदेशी दम्पतियों द्वारा (adoption by foreign parents in india ) एवं अन्य धर्मालम्बियों द्वारा उनकी व्यक्तिगत विधि के अनुसार दत्तक ग्रहण संभव नहीं है इसी समस्या के समाधान के तोर पर किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं सरंक्षण) अधिनियम, 2015 को अधिनियमित किया गया है जो संविधान के अनुच्छेद 44 समान नागरिक संहिता के प्रावधानों के अनुरूप है। उक्त अधिनियम में मान्यता प्राप्त संस्थानों के माध्यम से बालकों को दत्तक प्रदान करने के प्रावधान बिना धर्म पर विचार करे किया गया है। 

क्या है किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं सरंक्षण) अधिनियम, 2015

उक्त अधिनयम की अध्याय 8 धारा 56 से 71 में बालकों के दत्तकग्रहण से सम्बंधित प्रावधान किये गए है, उक्त अधिनियम के प्रावधानों के अधीन दत्तकग्रहण बालकों के देखरेख हेतु संस्था का प्रावधान किया गया है तथा उन्हें दत्तक में देने हेतु प्रावधान भी किये गए है उक्त अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अनाथ, सुपुर्द अथवा बंधक बच्चों को देश या विदेश में बिना धर्म देखे या आप्रवासी भारतीय ( NRI) या भारतीय मूलवंशीय  (PIO)  अथवा विदेशी या रिश्तेदार को भी दत्तक देने के प्रावधान किये गए है। 

किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं सरंक्षण) अधिनियम, 2015 हिंदी (JJ ACT) निम्न प्रकार से है :-

किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं सरंक्षण) अधिनियम, 2015 हिंदी pdf download 

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उक्त अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार central  adobtion resource authority का गठन किया गया है। जिसने दत्तकग्रहण के सम्बन्ध में दिशानिर्देश जारी किये है जो की माननीय उच्चतम न्यायालय के लक्ष्मीकांत पाण्डे बनाम भारत संघ, 1982  के निर्णय में जारी की है।           

भारत में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन केंद्रीय दत्तक संशाधन प्राधिकरण ( Central Adoption Resource Authority/ CARA ) के अधीन पंजीकृत संस्थान की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 

कारा की ऑफिसियल वेबसाइट http://cara.nic.in/ है। 

एससी एसटी एक्ट 1989 संशोधित प्रावधान, दंड

दत्तकग्रहण विनिमय, 2017 में उक्त प्रकार के समस्त दत्तकग्रहण के नियम एवं दिशा निर्देश दिए गए है तथा इसके अनुसार पात्रता की शर्तें भी तय की गई है। उक्त विनमय में गोद लेने के नियम तथा गोद लेने की प्रक्रिया बताई गई है।  क़ानूनी तोर पर गोद लेने की शर्तें निम्न प्रकार से है :-


दत्तकग्रहण विनिमय, 2017 निम्न प्रकार से है :-

 

दत्तकग्रहण विनिमय, 2017 हिंदी पीडीऍफ़ डाउनलोड 

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किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं सरंक्षण) अधिनियम, 2015 में गोद हेतु प्रक्रिया 

किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं सरंक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार किसी बालक को गोद में लेने हेतु CARA में पंजीकृत संसथान से संपर्क करना होता है। उक्त हेतु सम्पूर्ण पारदर्शिता हेतु चाइल्ड एडॉप्शन एंड रिसोर्स इनफार्मेशन एंड गाइडलाइन सिस्टम ( CHILD ADOPTION AND RESOURCE INFORMATION AND GUIDELINE SYSTEM / CARINGS ) online registration for adoption of child विकसित किया गया है। CARINGS की ऑफिसियल वेबसाइट https://carings.nic.in/ है। 

  • सर्वप्रथम दम्पति या सिंगल पेरेंट्स को चाइल्ड एडॉप्शन एंड रिसोर्स इनफार्मेशन एंड गाइडलाइन सिस्टम पर चाहे गए दस्तावेजों के साथ पंजीकरण करना होगा। यदि बच्चे की कस्टडी को लेकर पूर्व में कोई वाद लंबित है तो दत्तक प्रक्रिया उसके निराकरण तक स्थगित रहेगी। 
  • सम्बंधित दम्पति को परिवार सक्षम आधिकारिता वाले न्यायालय, जिला न्यायालय अथवा सक्षम सिविल न्यायालय में शेड्यूल 32 में दिए गए फॉर्मेट में प्रार्थना पत्र मय दस्तावेज legal process of adoption हेतु दायर करना होगा। 
  • सक्षम न्यायालय उक्त याचिका पर विचार करने में बालक के हित को ध्यान में रखते हुए दत्तक आदेश (ADOPTION OREDR) पारित करेगा। आवेदक को सम्बंधित न्यायालय के दत्तक आदेश की एक सर्टिफाइड कॉपी प्रदान की जावेगी तथा चाइल्ड एडॉप्शन एंड रिसोर्स इनफार्मेशन एंड गाइडलाइन सिस्टम पर ऑनलाइन भी भेजी जायेगी। 
  • उक्त न्यायालय के आदेश के आधार पर सम्बंधित संस्थान द्वारा बालक को दत्तक दिया जाएगा जिसकी मॉनिटरिंग समय समय पर होगी। 
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  सार  : वर्तमान समय में गोदनामा या दत्तक लेना या देना व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करता है। इसी के अनुरूप व्यक्तिगत विधियों में प्रावधान ना होते हुए भी किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं सरंक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के अधीन कुछ शर्तों के अधीन रहते हुए किसी बालक या बालिका को धर्म या देश की सीमाओं को तोड़ते हुए किसी NRI , PIO या FOREIGNER को दत्तक दिया जा सकता है। हमारे देश में CARA के माध्यम से एवं चाइल्ड एडॉप्शन एंड रिसोर्स इनफार्मेशन एंड गाइडलाइन सिस्टम ( CARINGS ) के माध्यम से यह प्रक्रिया पारदर्शी तथा सरल हुए है एवं वर्तमान में उक्त प्रक्रिया का फायदा अनाथ या निराश्रित बालकों को बहुत हो रहा है।  


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