जादूगर, जिसकी हॉकी से बॉल चिपक जाया करती थी-पद्मभूषण मेजर ध्यानचंद

जादूगर, जिसकी हॉकी से बॉल चिपक जाया करती थी।

पद्मभूषण मेजर ध्यानचंद हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर है।   हॉकी का जादूगर जब मैदान में उतरते थे तो ऐसे लगता था कि मानो बॉल हॉकी से चिपक चुकी हो। इसी कारण कहा जाता है कि एक बार  हॉलैंड में जांच के लिए उनकी हॉकी को तोड़ा गया था कि कहीं उनकी हॉकी में चुंबक आदि जैसी कोई चीज तो नहीं है,  तो दूसरी बार हॉकी पर गोंद जैसी वस्तु की भी शिकायत भी हुई, किन्तु हॉकी के उस जादूगर की जादूगरी नही पता चली, क्योकि वह तो जन्मजात प्रतिभा थी।

National Sports Day 2021

मेजर ध्यानचंद के बारे में कई किस्से मशहूर हैं । कहा जाता है कि एक बार जर्मनी तानाशाह  हिटलर ने उनके खेल प्रतिभा को देखते हुए  जर्मनी की टीम में शामिल होने के लिए कहा था और अपनी सेना में भी विशिष्ट पद का ऑफर दिया था। किंतु मेजर ध्यानचंद ने अपनी मिट्टी और वतन के मान  को ध्यान में रखते हुए सप्रेम उक्त अवसर को अस्वीकार कर दिया और अंतिम समय तक भारतीय टीम की तरफ से ही खेलते रहे।

मेजर ध्यानचंद के बारे में यह भी मशहूर है कि वह अपनी हॉकी की प्रैक्टिस मैदान में रात को चांद की रोशनी में किया करते थे। इसलिए सेना में उन्हे चांद के नाम से जाना जाता था। इसी कारण उनके नाम के आगे चंद जुड़ गया और उन्हें मेजर ध्यानचंद कहा गया।

राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day)

हमारे देश देश विश्व ओलंपिक में एकमात्र  हैट्रिक बनाने वाले हॉकी के जादूगर ध्यान चंद का जन्मदिन, जिसे कि राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया है, 29 अगस्त को मनाया जाता है।

संक्षिप्त जीवन परिचय

मेजर ध्यानचंद का जन्म इलाहाबाद में 29 अगस्त 2005 को हुआ था। मेजर ध्यानचंद के पिता भी ब्रिटिश इंडियन आर्मी में थे। ये भारतीय सेना तत्कालीन ब्रिटिश इंडियन आर्मी की ब्राह्मण रेजिडेंट में एक साधारण सैनिक  थे।  जो बाद में मेजर की रैंक तक पहुँचे। इसीलिए उन्हें मेजर ध्यानचंद कहा जाता है । भारतीय सेना में 1921 से 1956 तक रहे ।  कहते हैं कि प्रतिभा छुपी नहीं रहती है।  तत्कालीन सूबेदार तिवारी ने प्रथम बार उन्हें हॉकी की ओर प्रेरित किया और  शीघ्र ही उन्हें हॉकी से लगाव लग गया और फिर हॉकी के ही बनकर रह गए। जिन्हें आज हॉकी प्रेमी हॉकी के भगवान या हॉकी के जादूगर के नाम से जानते है। वर्तमान में  फुटबॉल में पेले तथा क्रिकेट में ब्रैडमैन के समकक्ष दर्जा  हॉकी में मेजर ध्यानचंद को प्राप्त है।

पुरुस्कार

मेजर ध्यानचंद को खेल के क्षेत्र में विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा गया था जिनमें द्रोणाचार्य पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार तथा साथ ही भारत सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है। भारतीय ओलंपिक संघ में शताब्दी के खिलाड़ी (The Player of Century) के सम्मान से नवाजा है

जीवन के अविस्मरणीय पल

इन्होंने भारत को तीन ओलंपिक 1928, 1932 तथा 1936 में गोल्ड मेडल दिलवाया तथा हॉकी के खेल में हैट्रिक बनाई और इस खेल को विश्व स्तर पर पहचान दी । यह भारत की एकमात्र ओलंपिक हैट्रिक है। ये भारतीय पुरुष हॉकी टीम में 1926 से 1948 तक खेले। इसी के कारण हमारे देश का राष्ट्रीय खेल  हॉकी घोषित किया गया है। 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में उत्कृष्ट प्रतिभा दिखाने वाले खिलाड़ियों को राजीव गांधी रत्न पुरस्कार दिया जाता था जिसे  वर्तमान भारत सरकार ने बदलकर मेजर ध्यानचंद रत्न पुरस्कार के नाम से परिवर्तित कर दिया है। जो न केवल हॉकी प्रेमियों के लिए बल्कि समस्त खेल जगत के लिए अनुपम सौगात है। वर्तमान में इनके लिए भारत रत्न की भी मांग की गई है 

दोस्तों, राष्ट्रीय खेल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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