DRT केस स्टेटस कैसे जानें ?

DRT केस स्टेटस कैसे जानें ?

DRT क्या है ?

डी आर टी (THE DEBTS RECOVERY TRIBUNAL) जैसा कि नाम से प्रतीत होता है, यह ऋण की वसूली हेतु एक ट्रिब्यूनल होता है, DRT की फुल फॉर्म डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल होता है।
पहले 25 जून, 1993 से पूर्व बैंक अथवा वित्तिय संस्थानों द्वारा व्यक्तिगत अथवा कॉरपोरेट ऋण दिए जाने के पश्चात यदि वह समय पर नही चुकाया जाता था तो इस हेतु किसी प्रकार का वाद करने की अधिकारिता सिविल न्यायालय की होती थी। चूंकि सिविल न्यायालय में अन्य प्रकरण अत्यधिक होने की वजह से  बैंकों द्वारा ऋण वसूली अत्यंत ही कष्टदायक थी।  इसी कारण से बैंक व्यक्तिगत अथवा कॉरपोरेट्स ऋण देने में कतराते थे एवं वित्तीय संस्थानों के इस कठिनाई को देखते हुए एम नरसिम्हन समिति ने एक ऐसे ट्रिब्यूनल अथवा न्यायाधिकरण के गठन की सिफारिश की थी। जिसके माध्यम से बैंक अथवा वित्तीय संस्थानों के ऋण की वसूली हो सके। इसी के अनुरूप अधिनियम the Recovery of Debts Due to Banks & Financial Institutions Act, 1993 (RDDB & FI  Act,1993), ऋण वसूली और दिवालियापन अधिनियम, 1993, (The Recovery of Debts and Bankruptcy Act, 1993 RDB ACT, 1993), सरफेसी अधिनियम, 2002 (वित्तीय संपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (the SARFAESI Act, 2002 (The Securitization and Reconstruction of Financial Assets & Enforcement of Security Interest Act, 2002) पारित किया गया, जिसके तहत डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल(DRT) तथा डेब्ट रिकवरी अपीलेट ट्रिब्यूनल(DRAT) का गठन किया गया। जिसमें वाद फाइल करके बैंकों द्वारा ऋण वसूली की जा सकती है। वर्तमान में 5DRAT तथा 39DRT स्थापित है।

NPA क्या है ?

यदि कोई व्यक्ति या विधिक व्यक्ति अर्थात फर्म, कंपनी आदि बैंकिंग अथवा वित्तिय संस्थान से ऋण लेते है और हस्ताक्षरित ऋण इकरारनामा पर  तयशुदा दायित्व के अनुसार ऋण समय पर चुकाने में विफल रहता है, तो ये ऋण, आर बी आई की गाइड लाइन के तय प्रक्रिया का पालन करने के पश्चात गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) के रूप में माने जाते हैं। एन पी ए  (NPA) की फुल फॉर्म NON PERFORMING ASSETS होती है।
NPA मानने हेतु प्रक्रिया का पालन किया जाता है जो कि आरबीआई द्वारा तय की जाती है। अस्थाई रूप से ऋण ना चुकाया जाना एनपीए की केटेगरी में नहीं लाता  है,बल्कि आरबीआई द्वारा तय समय सीमा जो कि तीन माह है, तक किस्त ना चुकाने की स्थिति में नॉन परफॉर्मिंग असेट्स घोषित किया जा सकता है। इसी प्रकार की एसेट्स से ऋण की वसूली की जाती है।

DRT के कार्य
  1. आरडीबी अधिनियम डीआरटी में मूल आवेदन (ओएएस) और डीआरएटी में अपील के माध्यम से ऋण दाता और ऋण प्राप्तकर्ता को त्वरित निवारण प्रदान करता है।
  2. सरफेसी अधिनियम में न्यायालयों के हस्तक्षेप के बिना लेनदारों से सुरक्षित ऋण की वसूली के लिए अधिनियम के तहत कवर किए गए बैंकों और वित्तीय संस्थानों तक पहुंच प्रदान करता है।
  3. सरफेसी अधिनियम के तहत बैंक या वितीय संस्थानों द्वारा  की गई कार्रवाई के खिलाफ पीड़ित द्वारा डीआरटी के साथ प्रतिभूतिकरण अपील (एसए) दायर  करने का अधिकार प्रदान करता है।

DRT में वाद फ़ाइल करने हेतु पात्रता

The Recovery of Debts and Bankruptcy Act, 1993 की धारा (4)" के अनुसार निम्न बातों में डीआरटी क्षेत्राधिकार होता है

  1.  जहाँ वसूल की जाने वाली राशि 20 लाख रुपये से कम नहीं हो
  2. केवल बैंक और वित्तीय संस्थान (जिसमें बाद में सार्वजनिक वित्तीय संस्थान और प्रतिभूतिकरण कंपनी / पुनर्निर्माण कंपनी शामिल हैं) ऋण की वसूली के लिए मूल आवेदन दाखिल कर सकते हैं। 
  3. बैंक या वित्तिय संस्थान से ऋण प्राप्तकर्ता पीड़ित पक्ष SA दाखिल कर सकते हैं।
DRT में प्रक्रिया
डीआरटी में बैंक अथवा वित्तीय संस्थान द्वारा देय राशि के संबंध में कोर्ट केस का भुगतान करते हुए मूल एप्लीकेशन फाइल किया जाता है। drt द्वारा शपथ पत्र पर साक्ष्य स्वीकार किए जाते हैं। यह न्यायालय नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के आधार पर कार्य करता है। प्रतिवादी के पास प्रति दावा दायर करने या  दावा की गई राशि के खिलाफ सेट ऑफ का दावा प्रस्तुत करने का अधिकार होता है।
ट्रिब्यूनल द्वारा अंतिम आदेश में देनदार को आवश्यक राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है। यदि देनदार आदेशित राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, तो देनदार के खिलाफ (Recovery Certificate) वसूली प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा जिसे डीआरटी के वसूली अधिकारी (RECOVERY OFFICER) द्वारा निष्पादित किया जाएगा।
डीआरटी द्वारा पारित आदेश से व्यथित कोई भी व्यक्ति ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील कर सकता है।  DRAT में अपील तभी स्वीकार की जावेगी जबकि अपीलकर्ता अपीलीय ऋण वसूली न्यायाधिकरण में राशि का 75% या DRAT द्वारा विवेकानुसार निर्देशित अन्य राशि जमा नहीं करता है।

डीआरटी की ऑफिसियल वेबसाइट ई-फ़ाइलिंग

ऋण वसूली अधिकरण या ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण की आधिकारिक वेबसाइट https://drt.gov.in/ है।  इस वेबसाइट की निम्नलिखित खासियत हैं:-
1. वेबसाइट में ऑनलाइन केस फाइलिंग की सुविधा प्रदान की गई है। जिसमें पहले रजिस्ट्रेशन करना होता है और दिया गया डाटा भरकर संबंधित डीआरटी को सबमिट कर दिया जाता है। ई-फाइलिंग हेतु निम्न लिंक है:- 
DRT केसेस E-FILING

2. DRT/ DRAT केस स्टेटस

(II). DRT RC/TRC हेतु क्लिक करें।

3.DRT/DRAT कॉज लिस्ट डाउनलोड

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