प्रेम विवाह कैसे करें ?
इस पोस्ट के माध्यम से हम लव मैरिज/ प्रेम विवाह हेतु व्यक्तिगत विधि में सामान्य विवाह, कोर्ट मैरिज और आर्य समाज में विवाह के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
प्रेम विवाह क्या होता है?
लव मैरिज को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता किंतु प्रेम विवाह (LOVE MARRIGE),वह विवाह होता है जिसमें लड़का और लड़की अपनी सहमति से विवाह करते हैं। इसमें माता-पिता की सहमति का होना आवश्यकता नहीं है। साथ ही इसमें जातीय अथवा धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करना भी आवश्यक नहीं है।
1.व्यक्तिगत विधि(Personal Law) में सामान्य प्रेम विवाह कैसे करते है ?
सामान्य विवाह की स्थिति में विवाह पर्सनल लॉ / व्यक्तिगत विधियों के आधार पर होता है। उसमें वही शर्तें और वही प्रक्रिया का पालन किया जाता है, जो उनके व्यक्तिगत कानून में लिखा हुआ है। भारत में हिंदू विवाह करने हेतु किसी अन्य धर्म वाले से विवाह संपन्न नहीं हो सकता। क्योंकि हिंदू विवाह अधिनियम,1955 के अंतर्गत किसी हिंदू का विवाह हिंदू से ही हो सकता है। इसीलिए यदि इस व्यक्तिगत विधि के अंतर्गत विवाह करना है तो अन्य धर्म के व्यक्ति को हिंदू धर्म स्वीकार करना होगा। इसी प्रकार यदि किसी मुस्लिम को किसी हिंदू से विवाह करना है तो वह शरीयत के कानून के अनुसार विवाह नहीं कर सकता। क्योंकि शरीयत के अनुसार (मुस्लिम पर्सनल लॉ) मुस्लिम का मुस्लिम से ही विवाह संपन्न हो सकता है। इसके अंतर्गत विवाह को संपादित करवाने हेतु उसे अपना धर्म बदल कर इस्लाम को स्वीकार करना होगा। इस प्रकार व्यक्तिगत विधियों में किसी अन्य धर्म मे विवाह संपन्न कराने की आज्ञा नहीं दी गई है।
इस प्रकार यदि किसी व्यक्ति को अंतर धार्मिक विवाह करना हो तो उस व्यक्ति को अपना धर्म परिवर्तन करना होगा। दोनों ही पक्षकार एक ही धर्म के होने चाहिए। किंतु अंतरजातीय विवाह की स्थिति में व्यक्तिगत विधियों के अनुसार अथवा हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत हिंदुओं की विभिन्न जातियों में एवं शरीयत के अनुसार मुस्लिमों की विभिन्न जातियों में विवाह संपन्न करवाया जा सकता है। इस प्रकार संपन्न करवाए गए विवाह में यदि व्यक्तिगत कानून की सभी शर्तों का पालन करते हो तो इन्हें वैध विवाह की संज्ञा दी जाती है। यदि वह व्यक्ति लागू होने वाली व्यक्तिगत विधि के नियमों का पालन नहीं करते हैं तो वह विवाह शुन्य समझा जाता है। जैसे कि हिन्दू धर्म मे सगोत्र, सपिंड या निषेधित वर्गो में एवं मुस्लिम धर्म में भी निकट रक्त संबंध या अन्य निषेधित वर्गो में संपन्न विवाह को अवैध एवं शुन्य माना गया है।
सामान्य विवाह की प्रक्रिया
मुस्लिम समाज मे एजाब एवं क़बूल, दो मुवकिल/गवाह,काजी की उपस्थिति एवं लिखित निकाहनामे जिसमे मेहर की रकम तय होकर विवाह सम्पन्न करवाया जाता है। वही हिन्दू समाज में अग्नि के समक्ष सप्तपदी,कन्यादान आदि के द्वारा विवाह सम्पन्न करवाया जाता है। उक्त प्रक्रियाओं का पालन के पश्चात ही विवाह वैध माना जाता है। उक्त के पश्चात स्थानीय विधि के अनुसार पंजीकरण करवाया जाता है। स्थानीय विधि के अनुसार ऑनलाइन मैरिज रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है।
2.भारत में कोर्ट मैरिज कैसे करें? कोर्ट में विवाह पंजीकरण कैसे करवायें ?
जब कभी अंतरजातीय या अंतरधार्मिक विवाह की बात आती है तो लड़के और लड़की के घर वाले इस विवाह हेतु सहमत नहीं होते हैं। किंतु लड़का और लड़की फिर भी विवाह करना चाहते हैं तो उनके पास फिर कोर्ट मैरिज का विकल्प होता है। कोर्ट मैरिज का विकल्प कुछ नियमों पर आधारित है। यदि लड़का एवं लड़की उन नियमों हेतु पात्रता रखते हैं तो इनका विवाह भारत में कहीं भी कोर्ट के माध्यम से करवाया जा सकता है । इस स्थिति में उनके विवाह का रजिस्ट्रेशन भी अलग से करवाने की आवश्यकता नहीं होती है। यह विवाह हेतु पूर्णतः वैद्य प्रक्रिया प्रक्रिया होती है। उक्त विवाह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता रखता है।
कोर्ट मैरिज हेतु पात्रता
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत अंतरधार्मिक एवं अंतरजातीय विवाह (Intercast Marriage / Inter Religious Marriage ) को संपन्न कराया जा सकता है। जिसमें सामान्य विवाह का पर लागू होने वाली विभिन्न शर्तें भी लागू होते हैं जैसे कि वर तथा वधू बालिग होनी चाहिए। विवाह के समय दोनों में से किसी का पति अथवा पत्नी जीवित नहीं होना चाहिए एवं निषेधित नातेदारी वर्ग में उनका संबंध नहीं होना चाहिए यदि वे यह शर्त पूर्ण करते हैं तो इनका विवाह धार्मिक अथवा जातिगत बाधा के होते हुए भी संपन्न करवाया जा सकता है।
इस अधिनियम के अंतर्गत एक हिंदू का विवाह मुस्लिम करवाया जा सकता है और एक मुस्लिम का विवाह किसी भी हिंदू से करवाया जा सकता है इसके अलावा किसी भी जाति का विवाह किसी अन्य जाति में संपन्न करवाया जा सकता है सामान्यतः इसे ही कोर्ट मैरिज कहा जाता है।
विशेष विवाह अधिनियम 1954 के अनुसार विवाह पंजीकरण हेतु आवश्यक दस्तावेज
पूरे भारत में सामान्यतः एक ही प्रकार के दस्तावेज कोर्ट मैरिज के रजिस्ट्रेशन हेतु आवश्यक होते हैं । जैसे कि राजस्थान में निम्न प्रकार के दस्तावेज इसी प्रकार की कोर्ट मैरिज को संपन्न करवाने हेतु आवश्यक है
- सक्षम अधिकारी को संबोधित विवाह के अनुष्ठान के संबंध में आवेदन पत्र अथवा कवरिंग लेटर वर तथा वर तथा वधू के हस्ताक्षर सहित।
- विशेष विवाह अधिनियम 1954 की धारा 5 के अनुसार निर्धारित द्वितीय अनुसूची में विवाह हेतु आशयित विवाह की सूचना का नोटिस पांच प्रतियों में वर तथा वधू की पासपोर्ट साइज फोटो चिपके हुए एवं कंप्यूटर द्वारा टाइप किया हुआ।
- विशेष विवाह अधिनियम 1954 की धारा 11 के अंतर्गत निर्धारित तृतीय अनुसूची में वर तथा वधू द्वारा की जाने वाली घोषणा दो प्रतियों में। जो कि पासपोर्ट साइज के फोटोग्राफ चिपके हुए एवं कंप्यूटर टाइप होने चाहिए।
- वर वधु के अलग-अलग शपथ पत्र में फोटो ₹50 के स्टांप पेपर पर कंप्यूटर टाइप किए हुए एवं प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट से सत्यापित किए हुए ।
- वर तथा वधु का 30 दिवस का निवास के संबंध में अलग-अलग शपथ पत्र मय फोटो ₹50 के स्टांप पेपर पर कंप्यूटर टाइप किया हुआ तथा प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट से सत्यापित किया हुआ।
- स्थाई निवास हेतु मूल निवास प्रमाण पत्र अथवा अन्य प्रमाण पत्र प्रमाण पत्र।
- जन्मतिथि का प्रमाण पत्र प्रमाणित किया हुआ।
- दसवीं कक्षा का शैक्षणिक प्रमाण पत्र प्रमाणित किया हुआ।
- वर वधु की फोटो युक्त आईडी की फोटो प्रति प्रमाणित की हुई।
- विवाह विच्छेद या तलाक के प्रकरण में सक्षम न्यायालय का निर्णय एवं डिक्री ही मान्य होगी एवं मय शपथ पत्र ₹ 50 के स्टांप पेपर पर होनी चाहिए।
- विदुर या विधवा होने की दशा में पूर्व पत्नी अथवा पति के मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति में शपथ पत्र के साथ होनी चाहिए।
- इसके साथ ही राजस्थान में भविष्य में भूर्ण परीक्षण न करवाने एवं बालिकाओं के साथ समान व्यवहार करने के संबंध में संकल्प पत्र भी करवाया जाता है।
नोट- संलग्न प्रमाण पत्र अथवा दस्तावेज की फोटो प्रतियां राजपत्रित अधिकारी से प्रमाणित होनी चाहिए
धारा 5 के अंतर्गत नोटिस का फॉरमेट डाउनलोड करें।
धारा 11के अंतर्गत वर एवं वधु की घोषणा का फॉरमेट डाउनलोड करें।
विवाह प्रमाणपत्र का फॉरमेट डाउनलोड करें।
सम्पूर्ण विशेष विवाह अधिनियम , 1954 डाउनलोड करने हेतु यहां क्लिक करें ।
कोर्ट मैरिज हेतु संपूर्ण प्रक्रिया
पूरे भारत में कोर्ट मैरिज यदि स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के अंतर्गत होती है तो प्रक्रिया समान ही होती है। उक्त विवाह राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मैरिज रजिस्ट्रार के यहां पर होती है। मेरीज रजिस्ट्रार कौन होंगे यह वहां कि राज्य सरकार तय करती है। कोर्ट मैरिज फीस नाममात्र की होती है।
- सर्प्रथम संपूर्ण दस्तावेज पूर्ण करने के पश्चात वर एवं वधू को मैरिज रजिस्ट्रार के पास व्यक्तिगत उपस्थिति दर्ज करवानी होती है। प्रथम दिन मैरिज रजिस्ट्रार आवेदन को प्राप्त करता है एवं उनके हस्ताक्षर करवाता है ।
- प्रथम उपस्थिति दर्ज होने के पश्चात विवाह पंजीकरण अधिकारी के द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस संबंधित मैरिज रजिस्टर के ऑफिस में चस्पा किए जाते हैं । यदि विवाह करने वाले वर-वधू कहीं दूसरे मैरिज रजिस्ट्रार के क्षेत्र में आते हो तो संबंधित मैरिज रजिस्ट्रार को भी नोटिस की प्रति भेजी जती है जो अपने यहां जो अपने यहां उक्त नोटिस को चस्पा करवाएगा।
- नोटिस चस्पा होने की अवधि के 30 दिन के अंदर किसी प्रकार की आपत्ति आती है तो इनका सुनवाई की जाती है। यदि आपत्ती किसी प्रकार से वैध नहीं है तो मेरी रजिस्ट्रार उक्त आपत्ति को खारिज कर देता है।
- 30 दिन की समाप्ति पर विवाह प्रमाण पत्र जारी करने हेतु नियत दिन को वर तथा वधू को तीन गवाह सहित जो मित्र या रिश्तेदार आदि कोई भी हो सकते हैं उपस्थित होना अनिवार्य है। उनके हस्ताक्षर करवाए जाते हैं। उस दिन वर एवं वधु की व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक होती है। विवाह पंजीयन रजिस्टर (मैरिज रजिस्टर ) में दोनों एवं 3 गवाहों के हस्ताक्षर को दर्ज कर उनका विवाह प्रमाण पत्र ( कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट)जारी कर देगा।
- इस प्रकार के विवाह मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस के अतिरिक्त अन्य स्थान पर भी मरीज क रजिस्ट्रेशन करने का प्रावधान है जिसमें वर एवं वधू पक्ष को कुछ अतिरिक्त शुल्क जमा कराना होता है।
3. How to register for Arya Samaj Marriage in India in 2021?
भारत में आर्य समाज विवाह कैसे पंजीकृत करवायें?
वर्तमान में प्रेम विवाह हेतु कोर्ट मैरिज के अलावा एक अन्य विवाह जो कि आर्य समाज संपन्न करवाता है,प्रचलन में है।
कोर्ट मैरिज तथा आर्य समाज विवाह में अंतर
- कोर्ट मैरिज में कम से कम 30 दिन की अवधि में ही विवाह का अनुष्ठान हो सकता है किंतु आर्य समाज में विवाह है का अनुष्ठापन तुरंत करवाया जा सकता है।
- कोर्ट मैरिज में जो विवाह प्रमाण पत्र अथवा मैरिज सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है, वह कोर्ट द्वारा रजिस्टर्ड होता है। इसलिए इसको कहीं अन्य स्थान पर जैसे नगर निगम अथवा पंचायत आदि में रजिस्ट्रेशन अथवा पंजीकरण करवाने की आवश्यकता नहीं होती है। किंतु आर्य समाज में किए गए विवाह में दोबारा पंजीकरण नगर निगम अथवा पंचायत में करवाया जाता है।
- आर्य समाज में विवाह संपन्न करवाने की आवश्यकता उस वक्त पड़ती है जब लड़का अथवा लड़की के पास इतना समय नहीं है कि वह कोर्ट मैरिज कर सकें तो वह दूसरे विकल्प के तौर पर आर्य समाज में विवाह करते हैं इसका प्रमाण पत्र आर्य समाज प्रदान करता है इसी प्रमाण पत्र के आधार पर बाद में उनके विवाह का पंजीकरण नगर निगम अथवा पंचायत अथवा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पंजीकरण अधिकारी के समक्ष करवाया जा सकता है। आर्य समाज में विवाह संपन्न कराने हेतु एक अधिनियम आर्य समाज मैरिज वैलिडेशन एक्ट 1937 के द्वारा निर्धारित नियमों की पालना करनी होती है।
आर्य समाज विवाह कैसे करे ?
आर्य समाज में किया गया है वैसे तो वैद्य होता है किंतु कई राज्यों में इस प्रकार के विवाह संपन्न कराने हेतु गाइड लाइन दे दी गई है। राजस्थान में माता-पिता की सहमति के बिना यदि कोई विवाह आर्य समाज में संपन्न कराया जाता है तो माता-पिता को 7 दिवस की अवधि का नोटिस देने आदि कई प्रकार की गाइडलाइन का पालन करने हेतु हाई कोर्ट ऑफ़ राजस्थान ने निर्धारित कर रखा है। यही कारण है कि काफी लोग राजस्थान में आर्य समाज में विवाह करने के बजाए गाजियाबाद दिल्ली आदि को प्राथमिकता देते हैं । क्योंकि वहां पर मात्र 1 दिन में विवाह संपन्न करवा कर प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया जाता है। राजस्थान में निर्धारित गाइडलाइन का पालन करने के पश्चात ही आर्य समाज में विवाह संपन्न करवाया जा सकता है। सामान्यतः आर्य समाज में विवाह हेतु दोनों पक्षकारों का हिंदू होना अनिवार्य है। किंतु आर्य समाज में एक शुद्धिकरण नामक प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा किसी अन्य धर्म के व्यक्ति को हिंदू बनाकर उसका विवाह इसके अंतर्गत किया जा सकता है।
आर्य समाज में विवाह करने हेतु पात्रता
हिंदू विवाह अधिनियम 1954 की लगभग सभी शर्तें आर्य समाज में विवाह हेतु लागू होते हैं । जैसे कि वर तथा बालिग होने चाहिए। विवाह तीन गवाहों की उपस्थिति में करवाया जाता है। कोई भी हिंदू/ आर्य समाजी इस विवाह हेतु पात्र होते हैं। किंतु मुस्लिम इसाई पारसी या यहूदी नहीं होने चाहिए। यदि इनका विवाह संपन्न करवाए जाने के लिए इन्हें शुद्धिकरण की प्रक्रिया द्वारा हिंदू धर्म में धर्म अंतरित होना पड़ता है।यह आर्य समाजी माने जाते हैं।
आर्य समाज विवाह हेतु प्रक्रिया
आर्य समाज में विवाह संपन्न करने हेतु निम्न दस्तावेज आवश्यक हैं :-
- जन्म तिथि प्रमाण पत्र।
- पासपोर्ट साइज फ़ोटो।
- 3 गवाह।
- फ़ोटो आई डी ।
- विवाह के आशय का शपथ पत्र नोटरी प्रमाणित।
- रेजिडेंट प्रूफ आदि।
आर्य समाज विवाह प्रक्रिया
आर्य समाज मंदिर कार्यालय में उक्त सभी दस्तावेजों की जांच के पश्चात हिंदू विवाह जैसी ही आर्य समाजी में होने वाले विवाह के सभी रीतियों का पालन किया जाता है। इसके अंतर्गत हिंदु विवाह के आवश्यक नियम जैसे कि अग्नि के समक्ष सप्तपदी मंगलसूत्र पहनाना आदि संपूर्ण प्रक्रियाओं का वैदिक मंत्रोचार के साथ पालन किया जाता है और वैदिक कर्मकांड सहित विवाह सम्पन्न किया जाता है। यदि दोनों पक्षों में कोई एक व्यक्ति हिंदू धर्म से अतिरिक्त अन्य धर्म का है तो वैदिक रीति-रिवाज से उसका शुद्धीकरण संस्कार करके आर्य समाज अथवा हिंदू धर्म में धर्म अंतरित किया जाता है। उक्त संपूर्ण प्रक्रिया विभिन्न राज्य में अलग प्रकार की हो सकती है। राजस्थान में आर्य समाज विवाह पद्वति में विवाह करने हेतु माता पिता को 7 दिन का नोटिस देना आवश्यक कर दिया गया है। इसके पश्चात ही इनके द्वारा करवाया गया विवाह वैध माना जाता है। उक्त विवाह संपन्न करवाने के पश्चात विवाह प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। इस विवाह प्रमाणपत्र के आधार पर नगर निगम अथवा पंचायत कार्यालय में विवाह का पंजीकरण करवाया जा सकता है। उक्त विवाह का पंजीकरण हिंदू विवाह अधिनियम 1955 अथवा स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के अंतर्गत ही होता है।
आर्य समाज विवाह खर्च 10000 के करीब होता है।
आर्य समाज विधि में विवाह वैधता
आर्य मैरिज वैलिडेशन एक्ट , 1937 के अंतर्गत तहत विभिन्न जातियों एवं विभिन्न धर्मों के मध्य संपन्न करवाए गए आर्य समाज विवाह को वैधता प्रदान की गई है । राजस्थान में इस को वैधता प्रदान करने हेतु उच्च न्यायालय ने कुछ गाइडलाइन दी है। यदि विवाह में माता अथवा पिता की सहमति नहीं हो तो इन्हें 7 दिन का नोटिस देना अनिवार्य कर दिया गया है किंतु अन्य राज्यों में इस प्रकार का बंधन नहीं है। यही वजह है कि व्यक्ति राजस्थान से बाहर अन्य राज्यों के आर्य समाज में विवाह संपन्न करवा कर मात्र 1 दिन मेंआर्य समाज विवाह प्रमाण पत्र हासिल कर लेते हैं।
आर्य समाज विवाह भारत मे पूर्ण वैध है। किंतु अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार आर्य समाज विवाह प्रमाण पत्र को एक वैध दस्तावेज नहीं माना गया है। यदि आर्य समाज में संपन्न विवाह है तो इसके पश्चात सरकार के तय मापदंड के अनुसार न्यायालय पंचायत अथवा नगर निगम के अंतर्गत हिंदू विवाह अधिनियम 1954 या स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के अनुसार रजिस्टर्ड करवाया जाता है तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूर्णत वैध दस्तावेज होता है।
आर्य समाज वेलिडेशन एक्ट,1937 डाउनलोड हेतु क्लिक करें।
दोस्तों, आशा है आप सभी को यह जानकारी पसंद आई होगी। इस पोस्ट से संबंधित अन्य जानकारी जो आपकी नजरों में है और इसमें कवर नही की गई हैं तो बतायें। हम उक्त जानकारी आपको उपलब्ध करवाने का प्रयत्न करेंगें। e-mail सब्सक्रिप्शन कर Facts PP हिंदी द्वारा प्रदान की गई जानकारी का आनंद लें। अपने दोस्तों को भी शेयर करें।
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