CAPITAL GAIN क्या होता है ? कैसे गणना करते हैं ?
विषयसामग्री
- कैपिटल गेन क्या होता है ?
- कैपिटल गेन के प्रकार
- कैपिटल लॉस
- कॉस्ट इन्फलिएशन इंडेक्स क्या होता है ?
- फेयर मार्किट प्राइस क्या होती है ?
- इनकम टैक्स रिटर्न हेतु कैपिटल गेन की गणना
- कैपिटल गेन का उदाहरण
- कैपिटल गेन एडजस्टमेंट कैसे करते है ?
कैपिटल गेन क्या होता है ? (CAPITAL GAIN IN INCOME TAX)
कैपिटल गेन इन हिंदी -जब किसी सम्पति( चल अथवा अचल ) में निवेश या क्रय करने के कुछ समय पश्चात उसके मूल्य में बढ़ोतरी होने के पश्चात उसे विक्रय कर दिया जाता है तो क्रय मूल्य तथा विक्रय मूल्य में अंतर के आधार पर जो लाभ प्राप्त होता है, इसे ही पूंजीगत लाभ / कैपिटल गेन ( Capital Gain ) के नाम से जाना जाता है। उक्त लाभ किसी सम्पति जो चल हो सकती है जैसे भवन या भूमि आदि या अचल जैसे कि सोना, शेयर्स या बांड आदि के निश्चित समय के पश्चात विक्रय के परिणामस्वरूप होता है। इस प्रकार साधारण रूप से हम कह सकते है :-
कैपिटल गेन = सम्पति का सभी विधिक खर्चो सहित विक्रय मूल्य -विधिक खर्चो सहित क्रय मूल्य
यह लाभ किसी वस्तु या उत्पाद के क्रय -विक्रय से भिन्न होता है।
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2 के 29 AA के अनुसार लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट्स से तात्पर्य उन एसेट्स से है, जो शार्ट टर्म कैपिटल एसेट्स नहीं है तथा 29 B के अनुसार कैपिटल गेन से तात्पर्य उस कैपिटल गेन से है जो लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट्स के अंतरण से प्राप्त होती है।
कैपिटल गेन के प्रकार
यह दो प्रकार का होता है :-
शार्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG )- जब निवेश की गई सम्पति तीन वर्ष की अवधी में बेचीं जाती है और उक्त में लाभ होता है, उसे लघु अवधी पूंजीगत लाभ ( Short Term Capital Gain) की श्रेणी में रखते है। प्रायः शार्ट टर्म कैपिटल गेम हेतु 3 वर्ष की अवधी निश्चित है किन्तु यह भिन्न-भिन्न निवेश के लिए अलग अवधी हो सकती है जैसे कि शेयर्स के मामले में 1 वर्ष की अवधी को शार्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG ) -जब निवेश की गई सम्पति तीन वर्ष की अवधी के बाद बेचीं जाती है और उक्त क्रय - विक्रय जो लाभ प्राप्त होता है, उसे दीर्घ अवधी पूंजीगत लाभ ( Long Term Capital Gain ) के नाम से जाना जाता है। यह अवधी भी भिन्न हो सकती है जैसे कि यदि शेयर्स को एक वर्ष से अधिक अवधी पश्चात बेचा जाता है तो ये लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होते है।
दोनों प्रकार के लाभ आयकर अधिनियम के अंतर्गत कर योग्य होते है। उक्त शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स को शार्ट टर्म कैपिटल टैक्स के नाम से जाना जाता है तथा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स को लॉन्ग टर्म कैपिटल टैक्स के नाम से जाना जाता है।
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कैपिटल लोस क्या होता है ?
जब किसी सम्पति में निवेश करने के पश्चात उसके मूल्य में कमी होती है, तो प्रारम्भ के मूल्य तथा बेचने के मूल्य में अंतर के आधार पर जो नुकसान प्राप्त होता है, इसे ही कैपिटल लोस के नाम से जाना जाता है। उक्त फायदा किसी सम्पति जो चल हो या अचल जैसे कि भूमि, शेयर्स या बांड आदि।
आयकर विवरणिका भरते समय विभिन्न सम्पतियों में कैपिटल गेन या कैपिटल लोस को सेट ऑफ (समायोजित )किया जा सकता है
कॉस्ट इन्फलिएशन इंडेक्स क्या होता है ?
आयकर विवरणिका (Incometax Return) दाखिल करते समय कैपिटल गेन टैक्स हेतु सम्पति के मूल्य की गणना करने हेतु लागत लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (Cost Inflation Index) को सुविधा के लिए काम में लिया जाता है क्योकि ज्यादा पुरानी या विरासत में प्राप्त सम्पति के क्रय मूल्य की गणना करना आसान नहीं है क्योकि या तो क्रय मूल्य का पता नहीं होता है इसके अलावा पुस्तैनी सम्पति में वास्तविक क्रय नहीं होता है, इसलिए आभाषी मूल्य हेतु लागत मुद्रास्फीति सूचकांक दर को काम में लिया जाता है
भारत सरकार ने प्रत्येक वर्ष की लागत मुद्रास्फीति सूचकांक दर की सूची जारी की जाती है,इसे ही कॉस्ट इन्फलिएशन इंडेक्स(Cost Inflation Index) के नाम से जाना जाता है।
वर्तमान में सम्पति की गणना हेतु 1 अप्रैल, 2001 को आधार मूल्य माना गया है, जिसका दर 100 तय की गई है, इसी को मानक मूल्य मानकर प्रत्येक वर्ष का मूल्य तय किया जाता है।
सम्पति की गणना हेतु 2001 से पूर्व के वर्षो में क्रय की गई सम्पति की गणना हेतु भी इसी दिनांक को आधार वर्ष माना जाता है अर्थात सम्पति इसी दिन की खरीद की हुई मानी जाकर गणना की जाती है। सामान्य भाषा कैपिटल गेन इंडेक्स भी कह सकते है।
S.No. |
FINANCIAL YEAR |
COST INFLATION INDEX |
1 |
2001-2002 |
100 BASE YEAR |
2 |
2003-2004 |
105 |
3 |
2004-2005 |
109 |
4 |
2005-2006 |
113 |
5 |
2006-2007 |
117 |
6 |
2007-2008 |
122 |
7 |
2008-2009 |
129 |
8 |
2009-2010 |
137 |
9 |
2011-2012 |
148 |
10 |
2011-2012 |
167 |
11 |
2011-2012 |
184 |
12 |
2012-2013 |
200 |
13 |
2013-2014 |
220 |
14 |
2014-2015 |
240 |
15 |
2015-2016 |
254 |
16 |
2016-2017 |
264 |
17 |
2017-2018 |
272 |
18 |
2018-2019 |
280 |
19 |
2019-2020 |
289 |
20 |
2020-2021 |
301 |
21 |
2021-2022 |
317- FROM 1 .4.2022 |
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सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ डायरेक्ट टैक्स (CENTRAL BEURO OF DIRECT TAX/ CBDT)2021-2022 हेतु नवीन लागत मुद्रास्फीति सूचकांक नोटिफिकेशन डाउनलोड
फेयर मार्किट प्राइसप्राइस क्या है
सम्पति की मूल्य की गणना हेतु फेयर मार्किट प्राइस ( Fair Market Price- FMV) को भी आधार माना गया है। यह वह दर होती है जो क्रेता तथा विक्रेता के मध्य मार्किट वैल्यू के अनुसार तय की जाती है।
कैपिटल गेन पर टैक्स दर / कैपिटल गेन टैक्स क्या है
आयकर अधिनियम, के अनुसार सामान्यतः कैपिटल गेन टैक्स 20 प्रतिशत की दर से लगता है किन्तु शेयर्स आदि पर 10 प्रतिशत की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है
आयकर विवरणिका हेतु प्रॉपर्टी गेन कैसे गणना ?
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INDEXED COST OF ACQUISTION(इंडेक्स्ड अभिग्रहण लागत) = | अभिग्रहण लागत X अंतरण वर्ष CII / अभिग्रहण वर्ष CII |
INDEXED COST OF IMPROVEMENT(इंडेक्सेस्ड सुधार लागत)= | सुधार लागत X अंतरण वर्ष CII / सुधार वर्ष CII |
LONG TERM CAPITAL GAIN( | पूर्ण प्रतिफल प्राप्ति या अभिग्रहण -( इंडेक्स्ड अभिग्रहण लागत + इंडेक्सेस्ड सुधार लागत + अंतरण खर्च ) |
उदाहरण-कैपिटल गेन की गणना (कैपिटल गेन टैक्स कैलकुलेटर)
विक्रय मूल्य की गणना करने हेतु वास्तविक विक्रय मूल्य तथा ब्रोकरेज एवं अन्य लीगल खर्च के योग को कुल विक्रय मूल्य माना जाता है उक्त उदाहरण में सम्पति की अभिग्रहण लागत 900000 + रजिस्ट्री चार्ज 100000 = 1000000 रुपए क्रय मूल्य या अभिग्रहण लागत है.
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INDEXED COST OF ACQUISTION(इंडेक्स्ड अभिग्रहण लागत) = | 1000000 (अभिग्रहण लागत) X 301(2001-02 CII) / 100 (2020-21 CII) =1000000X 3.1=3100000 रूपये |
INDEXED COST OF IMPROVEMENT(इंडेक्सेस्ड सुधार लागत)= | 500000 (सुधार लागत) X 301 अंतरण वर्ष CII / 113 (2005 -06 CII) =500000 X 2.66 =1330000 रूपये |
LONG TERM CAPITAL GAIN( | 4500000 (पूर्ण प्रतिफल प्राप्ति या विक्रय मूल्य) -3100000 (इंडेक्स्ड अभिग्रहण लागत) +1330000 ( इंडेक्सेस्ड सुधार लागत + 0 (अंतरण खर्च ) =700000 |
प्रॉपर्टी गेन को एडजस्ट करने के तरीके / छूट
आयकर अधिनियम,1961 के अनुसार निम्न प्रकार से प्रॉपर्टी गेन टैक्स से छूट प्राप्त कर सकते है :-
- आयकर अधिनियम,1961धारा 54 तथा 54 F के अनुसार रिहायसी सम्पति में निवेश
- आयकर अधिनियम,1961धारा 54 EC के अनुसार कैपिटल गेन बांड में निवेश करके
- कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम में निवेश द्वारा
- कैपिटल लॉस को समायोजित(SET OFF)करके प्रॉपर्टी गेन से छूट प्राप्त कर सकते है तथा टैक्स बचा सकते है।
👍HSN कैसे खोजे ?
दोस्तों, कैपिटल गेन हेतु आई टी आर 4 को भरा जाता है, इसमें दिए गए SCHEDULE अनुसार भरा जाता है। आशा है कैपिटल गेन के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रदान की गई है उक्त जानकारी आशा है आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। इसी प्रकार की जानकारी हेतु Facts PP हिंदी को फॉलो करें।
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